हल्द्वानी: राज्य के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी 'हमारी विरासत'
विरासत में होगा हर जिले का इतिहास, पाठ्यक्रम में शामिल होगी किताब
दीप नेगी, हल्द्वानी, अमृत विचार। राज्य सरकार ने स्कूलों में 'हमारी विरासत' नामक पुस्तक पढ़ाने का निर्णय लिया है। किताब में 13 जिलों का इतिहास समाहित होगा। जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) पुस्तक में जिले का इतिहास लिखने का कार्य करेगी। जिलों के अलग-अलग इतिहास को मिलाकर राज्य के लिए एक समग्र किताब निर्मित की जाएगी। यह कार्य पूरा होने के बाद इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। पांचवी से 12 वीं कक्षा तक के बच्चे इसे पढेंगे।
'हमारी विरासत' किताब में जिले का इतिहास, संस्कृति, पूर्वज, बोली, पहनावा, परिवेश, नदियां, नाले, पहाड़, धार्मिक स्थल, पर्यटन स्थल आदि को मिलाकर एक पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। सभी जिलों से एक-एक किताब लिखी जाएगी। इन सब किताबों के अध्ययन के बाद एक समग्र किताब तैयार की जाएगी। इसे सरकारी और निजी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में कोई ऐसी किताब शामिल नहीं है, जिसमें राज्य से संबंधित सिलेबस पूर्ण रूप से है। एनसीईआरटी की, जो किताबें स्कूलों में पढ़ाई जाती है। वह अलग-अलग विषयों पर आधारित होती हैं। इन किताबों में राज्य से संबंधित जानकारी का अभाव रहता है। राज्य सरकार अब पाठ्यक्रम में एक ऐसी किताब शामिल करने जा रही है, जिसमें हर जिले का इतिहास होगा। डायट को जल्द ही इन किताबों को लिखने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। प्रदेश सरकार जल्द ही विरासत को पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी में है।
एनईपी के पाठ्यक्रम में 30 फीसदी सिलेबस राज्य का
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से लागू कर दिया है। स्कूली शिक्षा में भी प्री प्राइमरी स्तर पर इसे शामिल कर दिया गया है। हर जिले में बाल वाटिकाएं बनाई गई हैं, जिनमें एनईपी के तहत अध्ययन कराया जा रहा है।
पहली कक्षा में प्रवेश से पहले बच्चे को प्री स्कूलिंग के लिए बाल वाटिकाओं में पढ़ाया जा रहा है। पाठ्यक्रम तैयार न होने के कारण फिलहाल इसे स्कूलों में पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। एनईपी में स्कूलों के पाठ्यक्रम में 30 प्रतिशत सिलेबस राज्य से संबंधित होगा।
"स्कूलों में जल्द ही हमारी विरासत नामक पुस्तक पढ़ाई जाएगी। सभी जिलों का इतिहास मिलाकर एक समग्र किताब तैयार की जाएगी। इस किताब को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। पांचवी कक्षा से 12 वीं कक्षा तक के बच्चे इसे पढ़ेंगे। स्कूलों में भी जल्द ही एनईपी को पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा।"
-धन सिंह रावत, शिक्षा मंत्री।
