उत्तराखंड : पौड़ी गढ़वाल में आदमखोर बाघ पिंजरे में कैद, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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पौड़ी गढ़वाल। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के जहरीखाल प्रखंड में पिछले कई दिनों से दहशत का पर्याय बने एक आदमखोर बाघ को वन विभाग और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व की टीम ने रविवार तड़के सफलतापूर्वक बेहोशी का इंजेक्शन देकर पिंजरे में कैद कर लिया है। बाघ के पकड़े जाने के बाद अमलेशा गांव और आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों ने बड़ी राहत की सांस ली है। 

जानकारी के अनुसार, जहरीखाल प्रखंड के अंतर्गत ग्रामसभा अमलेशा और आसपास के गांवों में कुछ समय से बाघ की लगातार मौजूदगी देखी जा रही थी। गत पांच दिसंबर को एक दर्दनाक घटना में इस बाघ ने ग्रामसभा अमलेशा के तोकग्राम डाल्यूंगाज में घर के पास चारा जमा कर रही 60 वर्षीय उर्मिला देवी (पत्नी राजेंद्र सिंह) पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। 

इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में भय का माहौल बन गया था और ग्रामीणों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। घटना की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. दुष्यंत शर्मा के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ टीम को क्षेत्र में भेजा गया। गांव के आसपास संभावित आवाजाही वाले स्थानों पर पिंजरा लगाया गया और निगरानी के लिए वन कर्मियों की टीमें तैनात की गईं।

कई दिनों की सतर्क निगरानी के बाद, विशेषज्ञ टीम को रविवार तड़के लगभग चार बजे सफलता मिली। डॉ. शर्मा ने बाघ को सफलतापूर्वक बेहोशी का इंजेक्शन ( ट्रेंकुलाइज) किया, जिसके बाद विभागीय टीम ने उसे सुरक्षित रूप से पिंजरे में कैद कर लिया। पकड़े गए बाघ को प्राथमिक जांच के बाद रेस्क्यू सेंटर कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के ढेला रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया है। वहाँ उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी।

बाघ के पकड़े जाने से क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल होने की उम्मीद है। ग्रामीणों ने वन विभाग की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई के लिए आभार व्यक्त किया है। हालांकि, वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे फिलहाल सतर्कता बनाए रखें और जंगल से लगे क्षेत्रों में अकेले न जाएं। 

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