संविधान-लोकतंत्र-सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते मोदी : आप 

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Published By Vishal Singh
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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के संविधान, लोकतंत्र, संघीय ढांचे और उच्चतम न्यायालय को मानते हैं। 

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पारित किया गया अध्यादेश भारत के लोकतंत्र का गला घोंटने की कार्रवाई है। यह अध्यादेश भारत के संघीय ढांचे को समाप्त करने, बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान को खत्म करने और सर्वोच्च न्यायालय के पांच जजों के फैसले को पलटने की कार्रवाई है।

इससे साफ हो गया है कि भाजपा और मोदी देश के संविधान, लोकतंत्र, संघीय ढांचे और सर्वोच्च न्यायालय को नहीं मानते हैं। इसका साफ मतलब है कि अब देश में तानाशाही शासन है। तुगलकी फरमान से कोई भी आदेश बदला जा सकता है और कोई भी आदेश दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 25 साल से दिल्ली में भाजपा बुरी तरह से हार रही है। भाजपा दिल्ली की सत्ता पाने के लिए बेहद व्याकुल है और तड़प रही है। भाजपा केजरीवाल की लोकप्रियता को खत्म करने के काम में अपनी उर्जा लगा रहे हैं। 

राज्यसभा सांसद ने कहा कि केंद्र का यह अध्यादेश अलोकतांत्रिक और भारत के संघीय ढांचे को खत्म करने वाला है। देश के लोकतंत्र और संघीय ढांचे को बचाने के लिए केजरीवाल देश के सभी विपक्षी नेताओं से संपर्क करेंगे। सभी राजनीतिक दलों से मुलाकात करेंगे। राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं है। मुख्यमंत्री केजरीवाल सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करके इस काले बिल को राज्यसभा में गिराने का काम करेंगे। 

उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल सबके सामने एक ही विषय रख रहे हैं कि अगर हमें भारत के लोकतंत्र, बाबा साहब द्वारा लिखे गए संविधान, संघीय ढांचे और सुप्रीम कोर्ट को बचाना है तो जब यह अध्यादेश बिल के स्वरूप में राज्यसभा में आएगा तब सारे विपक्ष को एकजुट उसे गिराना होगा। यह 2024 के लोकसभा चुनाव और विपक्षी एकता का भी सेमी फाइनल होगा। 

सिंह ने कहा कि यह अग्नि परीक्षा की घड़ी है। देश में आपातकाल की स्थिति है। इस अध्यादेश को लेकर भाजपा कह रही है कि अगर किसी दूसरी पार्टी ने सरकार बना ली तो पहले खरीद-फरोख्त करके उसकी सरकार गिराएंगे। खरीद-फरोख्त में सफल नहीं होने पर ईडी-सीबीआई छोड़ कर गिरफ्तार कराएंगे। अगर इसमें भी सफल नहीं होंगे और आपके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का कोई फैसला आ जाता है तो उसको भी बदल देंगे। 

इस दौरान वरिष्ठ नेता आतिशी ने कहा कि यह किसी एक पार्टी का मुद्दा नहीं है और न तो यह सिर्फ दिल्ली का मुद्दा है। यह मुद्दा इस बात का है कि भाजपा जिन राज्यों में चुनाव हारती है, वो किसी न किसी तरह से उस राज्य की ताकत को खत्म करने की कोशिश करती है। चाहे वो विधायकों के खरीद-फरोख्त से हो, चाहे ईडी-सीबीआई छोड़ने से हो, या उपराज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग करके या फिर असंवैधानिक अध्यादेश लाकर हो, जो देश के संघीय ढांचे को कमजोर कर देता हो।

अगर केंद्र सरकार एक चुनी हुई सरकार की संविधान द्वारा दी गई ताकत को वापस लेने की कोशिश कर सकती है तो दिल्ली तो सिर्फ इसकी शुरूआत है। दिल्ली के बाद ऐसा किसी भी राज्य में हो सकता है। सभी विपक्षी दलों को साथ आना पड़ेगा, वरना देश में लोकतंत्र और संविधान नहीं बचेगा। 

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