शांति स्थापना की चुनौती

शांति स्थापना की चुनौती

मणिपुर में शांति की स्थापना एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। हिंसा की ताजा घटनाओं के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि वह मणिपुर के लोगों से बात करेंगे। अमित शाह ने कहा कि एक अदालत के फैसले के बाद मणिपुर में झड़पें हुईं। उन्होंने दोनों समूहों से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और सभी के साथ न्याय किया जाएगा।

बुधवार को हुई हिंसा के दौरान संदिग्ध उग्रवादियों ने लोगों के समूह पर गोली चला दी। हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि एक अन्य घायल हो गया। इससे पहले एक समूह ने मणिपुर के लोक निर्माण विभाग मंत्री के विष्णुपुर जिले स्थित घर में तोड़फोड़ की। यह पहली बार है जब राज्य में मैतई और कुकी समुदाय के बीच जारी जातीय हिंसा के दौरान किसी मंत्री के घर पर हमला किया गया है। हिंसा में 70 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। संघर्षरत जातीय समूहों के आपसी संबंधों की नाजुक प्रकृति को देखते हुए पूर्वोत्तर के इस राज्य की स्थिति पर कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले बहुत सावधानी बरतने की ज़रूरत है। 

मणिपुर के कई जिलों में 4 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन द्वारा बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचंदपुर जिले के तोरबंग इलाके में गैर-आदिवासी मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में हिंसा हुई थी। हिंसा के बाद, मणिपुर के आठ जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया था और पूरे राज्य में कई दिनों तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं।

मैतई मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जबकि जनजातीय-नागा और कुकी-अन्य 40 प्रतिशत आबादी का गठन करते हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। स्पष्ट रूप से, मैतई, नगा और कुकी जनजातियों के बीच मौजूद गहरे जातीय विभाजन ने मणिपुर में ज्यादातर संघर्षों में योगदान दिया है।

विभिन्न जातीय समूहों के बीच संवाद को लेकर मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन ऐसे किसी संवाद से कुछ ख़ास फायदा यदा तब तक नहीं होगा जब तक मणिपुर की वर्तमान व्यवस्था विभिन्न जातीय समूहों के प्रति निष्पक्ष और तटस्थ नहीं हो जाती। म्यांमार से अवैध प्रवासियों के आगमन ने मणिपुर में जातीय शांति के लिए बड़ा ख़तरा पैदा किया है।

पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक एवं राजनयिक संबंधों को सुदृढ़ करने से क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा की वृद्धि करने में मदद मिल सकती है। म्यांमार से प्रवासियों की घुसपैठ को रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिक निगरानी की व्यवस्था की जानी चाहिए।