विश्व तंबाकू निषेध दिवस : साल भर में ही दोगुने हो गए ओरल कैंसर के मरीज, ऐसे करें बचाव

डॉक्टरों के मुताबिक समय से लक्षण न पहचानने से खतरनाक हो जाता है कैंसर

विश्व तंबाकू निषेध दिवस : साल भर में ही दोगुने हो गए ओरल कैंसर के मरीज, ऐसे करें बचाव

बरेली, अमृत विचार। कैंसर का इलाज मुमकिन है, बशर्ते उसके लक्षण समय से पहचान लिए जाएं। हालांकि सबसे मुश्किल यही है कि लोग कैंसर का इशारा ही नहीं समझते। ज्यादातर लोग लक्षणों का इलाज कराते रहते हैं और इसमें काफी समय खराब हो जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक सबसे ज्यादा केस ओरल कैंसर के हैं जिसके पीछे तंबाकू की आदत मुख्य वजह होती है। यह जानलेवा बीमारी किस तेजी से लोगों को चपेट में ले रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक साल में ही बरेली में ओरल कैंसर के मरीज दोगुने हो गए हैं।

एसीएमओ प्रशासन डॉ. हरपाल सिंह के मुताबिक जिले में फिलहाल ओरल कैंसर के एक हजार से ज्यादा मरीज हैं। पिछले साल यह संख्या पांच सौ के ही आसपास थी। जिला अस्पताल में ओरल कैविटी कैंसर के हर महीने 15 से 20 मरीज आते हैं। धूम्रपान या तंबाकू खाने की आदत उन्हें इसका शिकार बनाती है। आंकड़ों के मुताबिक कैंसर के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पहले एक महीने में आठ-दस मरीजों का ही औसत था। इन मरीजों में होंठ, लार ग्रंथियों, तालू, मसूढ़ों, टॉन्सिल, जीभ का कैंसर मिलता है।

डॉक्टरों के अनुसार करीब 60 फीसदी लोगों में ओरल कैविटी कैंसर तंबाकू के कारण होता है। कैंसर होने के बाद मरीज उसे पहचान नहीं पाते। इसी कारण सीधे कैंसर का इलाज कराने के बजाय बुखार या शरीर के किसी हिस्से में सूजन की दवा लेते रहते हैं। परेशानी बढ़ने के बाद जब जांच कराई जाती है, तब ओरल कैविटी कैंसर का पता चलता है। अक्सर इसी वजह से काफी देर हो जाती है।

जितना जल्द इलाज, उतना ठीक होने की संभावना
डॉक्टर कहते हैं कि अगर किसी में प्री-कैंसर के लक्षण समय से पता चल जाते हैं तो उसको नियंत्रित किया जा सकता है। देरी होने पर यह बीमारी खतरनाक रूप अख्तियार कर मरीज का मुंह, गला, जीभ, मसूढ़ों को गंभीर रूप से प्रभावित हो जाते हैं।

ओरल कैंसर के लक्षण और बचाव
बिना किसी कारण नियमित बुखार आना, मुंह में हो रहे छाले या घाव जो ठीक न हो रहे हों, मुंह का कोई ऐसा क्षेत्र जिसका रंग बदल रहा हो, बिना किसी कारण गले में लंबे समय तक सूजन रहना, चबाने या निगलने में दिक्कत होना, जबड़े या होठों को घुमाने में परेशानी होना। इससे बचाव के लिए धूम्रपान और तंबाकू सेवन से बचने के साथ रोज दांतों को साफ करना चाहिए।

तंबाकू सेवन एक वैश्विक चुनौती है जो हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करता है। फेफड़े के कैंसर और हृदय रोग से लेकर सांस की बीमारी और जीवन की समग्र गुणवत्ता में कमी जैसे धूम्रपान का निर्विवाद नकारात्मक प्रभाव है। शिक्षा, वकालत और समर्थन के माध्यम से हम एक बदलाव ला सकते हैं और एक स्वस्थ, धूम्रपान-मुक्त दुनिया की दिशा में काम कर सकते हैं। - डॉ. आशुतोष, एसोसिएट प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज

ये भी पढ़ें-  बरेली: बीमारी सही करने के नाम पर महिला से उतरवा लिए डेढ़ लाख के जेवर, रिपोर्ट दर्ज

 

Post Comment

Comment List

Advertisement