फर्जी किसान बनकर सरकारी खजाने से 22 करोड़ उड़ाने की साजिश नाकाम

सरकारी योजनाओं के दलालों की करतूत, 443 भूमिहीन मृतकों की ओर से भी ठोक दिया कृषक दुर्घटना बीमा योजना पर दावा,कुछ मामले पकड़ में आने के बाद अफसरों ने कराई जांच तो मिलीं भारी गड़बड़ियां

फर्जी किसान बनकर सरकारी खजाने से 22 करोड़ उड़ाने की साजिश नाकाम

बरेली,अमृत विचार, अनुपम सिंह : अफसरों ने सतर्कता न दिखाई होती तो फर्जी किसानों के आश्रित बनाकर पेश किए गए लोग सरकारी खजाने से 22 करोड़ से भी ज्यादा की रकम ले उड़ते। सरकारी योजनाओं में दलाली करने वालों ने 443 ऐसे मृतकों के मामले में राज्य सरकार की कृषक दुर्घटना बीमा योजना के तहत मुआवजे के लिए दावे ठोक दिए जिनके पास जमीन का टुकड़ा तक नहीं था।

कुछ आवेदन संदिग्ध महसूस होने के बाद एक सिरे से सारे आवेदनों की जांच कराई गई तो बड़ी साजिश का पर्दाफाश हो गया। कृषक दुर्घटना बीमा योजना के तहत किसानों की किसी हादसे में मृत्यु पर पांच लाख का मुआवजा देने का प्रावधान है। अफसरों के अनुसार सभी 443 मामले ऐसे लोगों की मृत्यु के हैं जिनके पास न जमीन है न वे किसान थे।

इसके अलावा योजना के तहत हादसों में 18 से 70 साल तक की उम्र के ही किसानों की मृत्यु पर मुआवजा देने का प्रावधान है लेकिन तमाम आवेदन हत्या और आत्महत्या से मृत्यु के भी करा दिए गए थे। कुछ आवेदन 14 सितंबर 2019 से पहले हुए हादसों के भी थे, जबकि योजना ही जनवरी 2020 से शुरू हुई थी। कुछ आवेदनों में दिया गया ब्योरा काफी संदिग्ध था। इसके बाद आवेदनों की एक सिरे से जांच शुरू की गई तो फर्जी आवेदनों की संख्या 443 पहुंच गई।

जांच में गलत पाए गए 78 आवेदन मई में निरस्त किए गए। माना जा रहा है कि फर्जी आवेदन कराने में सरकारी योजनाओं में दलाली करने वालों की बड़ी भूमिका रही है। चूंकि किसानों की मृत्यु पर जल्द से जल्द मुआवजा देने का निर्देश है इसीलिए दलालों को इसमें आसानी से बड़ा हाथ लगने की उम्मीद रही होगी।

अधिकारियों के मुताबिक जांच में फर्जी पाए जाने के बाद सभी 443 फाइलों को निरस्त कर दिया गया है। इसके साथ यह छानबीन भी की जा रही है कि इतनी बड़ी संख्या में फर्जी आवेदन कैसे हुए।

केस-1

संजयनगर निवासी ओमप्रकाश की मौत धान की बोरी गिरने से हो गई थी। उनके आश्रित की ओर से योजना के तहत आवेदन किया गया जबकि ओमप्रकाश के नाम एक बिस्वा जमीन भी नहीं थी। जांच में यह तथ्य पकड़े जाने के बाद आवेदन निरस्त कर दिया गया।

केस-2

नेवादा निवासी संजय सिंह की हत्या कर दी गई थी। परिवार की ओर से मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना का लाभ के लिए आवेदन किया गया। न जमीन थी न हत्या के मामले में मुआवजे का प्रावधान, इस वजह से एसडीएम ने उनकी फाइल को रद्द कर दिया।

केस-3

फरीदपुर के दौलतपुर कैरना निवासी बलकार सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इसके बाद उनके परिवार ने योजना में आवेदन किया। बलकार सिंह की उम्र 70 साल से अधिक थी। शासनादेश के विपरीत होने के कारण आवेदन निरस्त कर दिया गया।

ये हैं योजना के मानक:

-हादसों में जान गंवाने वाले किसान की उम्र 18 से 70 के बीच हो।

-मृतक के नाम जमीन हो, बंटाई करने वालों को लाभ नहीं।

-हत्या और आत्महत्या के मामलों में भी लाभ नहीं मिलेगा।

-आपराधिक कार्य के दौरान मौत होने पर पात्रता की श्रेणी में नहीं।

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना में बड़े पैमाने पर शासनादेश के विपरीत आवेदन किए गए हैं। अब तक कुल मिलाकर 443 फाइलें निरस्त की गई हैं। - संतोष अवस्थी, सहायक भूलेख अधिकारी

हाईलाइटर:

1174 आवेदन किए गए 14 सितंबर से 31 मई तक

659 आवेदन स्वीकृत होने पर दिया गया मुआवजा

443 आवेदन निरस्त कर दिए गए

72 आवेदनों की जांच चल रही है

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