Mangla Gauri Vrat 2023 : इस साल बेहद शुभ योग में पड़ रहा है मंगला गौरी व्रत, जानें डेट, महत्व और पूजा विधि

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Published By Vishal Singh
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Mangla Gauri Vrat 2023 : भगवान भोलेनाथ की उपासना के लिए सावन का महीना बहुत ही शुभ माना जाता है। साथ ही इस महीने में माता पार्वती की भी उपासना करना भी शुभ फलदायी रहता है। भगवान शिव और मां पार्वती का व्रत मंगला गौरी इस बार बड़े ही शुभ योग में बन रहा है। यह व्रत सावन के महीने में मंगलवार को रखा जाता है, इसलिए इसको मंगला गौरी के व्रत के नाम से जानते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में महादेव की सच्चे दिल से आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। तो आइए जानते हैं कब है इस साल का पहला मंगला गौरी व्रत।

मंगला गौरी व्रत की तिथि
इस बार सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो कि 31 को खत्म होगा। इस साल सावन एक महीने का नहीं बल्कि पूरे 58 दिनों का होने जा रहा है। इस बार पहला मंगला गौरी का व्रत 4 जुलाई को रखा जाएगा। इस बार अधिक मास होने के कारण सावन एक महीने से अधिक का रहेगा। 

मंगला गौरी व्रत का तारीख

  • पहला मंगला गौरी व्रत - 4 जुलाई 2023 को रखा जाएगा।
  • दूसरा मंगला गौरी व्रत - 11 जुलाई 2023
  • तीसरा मंगला गौरी व्रत -18 जुलाई 2023
  • चौथा मंगला गौरी व्रत - 25 जुलाई 2023

इस बार अधिक मास होने के वजह से कुल 9 मंगला गौरी व्रत पड़ रहा है।

  • पांचवा मंगला गौरी व्रत - 1 अगस्त 2023
  • छठा मंगला गौरी व्रत - 8 अगस्त 2023
  • सातवा मंगला गौरी व्रत- 15 अगस्त 2023
  • आठवा मंगला गौरी व्रत - 22 अगस्त 2023
  • नौवां मंगला गौरी व्रत - 29 अगस्त 2023

महत्व
शास्त्रों के अनुसार, मंगला गौरी व्रत का खास महत्व बताया गया है। इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन माता पार्वती की पूजा करके मां गौरी की कथा जरूर सुनें। अगर किसी महिला की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कोई समस्या हो तो उन्हें मंगला गौरी व्रत जरूर रखना चाहिए। इस व्रत रखने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

पूजा विधि
सावन के पावन महीने में मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि के बाद गुलाबी, नारंगी, पीले और हरे रंग के स्वच्छ सुंदर वस्त्र पहनें। इसके बाद पूजा स्थान को अच्छे से साफ करके पूर्वोत्तर दिशा में चौकी स्थापित करें और उस पर लाल कपड़ा बिछआएं। इसके बाद माता पार्वती की तस्वीर स्थापित करें। साथ ही माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इसके अलावा नारियल ,लौंग, सुपारी, मेवे, इलायची और मिठाइयां चढ़ाएं। इसके बाद मां गौरी की व्रत कथा पढ़ें और फिर उनकी आरती उतारें। साथ ही इस दिन सुहागिन महिलाओं को श्रृंगार का सामान भेट करना शुभ माना जाता है।

(नोट: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। अमृत विचार इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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