अयोध्या : माननीयों के प्रति शिष्टाचार में घोर लापरवाही पर शासन नाराज

अयोध्या : माननीयों के प्रति शिष्टाचार में घोर लापरवाही पर शासन नाराज

अमृत विचार, अयोध्या । माननीयों के प्रति शिष्टाचार तथा जारी प्रोटोकाल के अनुपालन में लापरवाही को लेकर आ रही शिकायतों को लेकर शासन ने नाराजगी जताई है और निर्धारित प्रोटोकॉल का अनुपालन करने और कराने की हिदायत जारी की है।

शासन के प्रमुख सचिव जेपी सिंह ने पत्र जारी कर अधिकारियों को संसद सदस्य एवं राज्य विधान मण्डल के सदस्यों का मोबाईल नंबर अपने मोबाईल में सेव करने तथा तत्काल काल रिसीव करने और आकस्मिक की स्थिति में काल बैक करने की हिदायत दी है। साथ ही इसकी अनुपालन आख्या एक पखवारे में प्राप्त कर अपने विभाग की संकलित सूचना एक माह के भीतर अनिवार्य रूप से प्रत्येक दशा में संसदीय कार्य विभाग को उपलब्ध कराने को कहा है। आदेश का अनुपालन न होने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

नियम-परंपरा के बावजूद निर्धारित प्रोटोकाल का अनुपालन न होने तथा माननीयों के प्रति शिष्टाचार में लापरवाही की शिकायत कोई नई नहीं है। समय-समय पर जनपद में भी इस तरह की शिकायतें प्रकाश में आ चुकी हैं। दो दिवसीय जनपद दौरे पर पहुंची विधान परिषद की विशेषाधिकार समिति के कार्यकारी सभापति विजय बहादुर पाठक ने प्रोटोकाल का अनुपालन न होने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। वहीं बाल आयोग सदस्य श्याम त्रिपाठी विवेचक के न पहुंचने पर नाराज हुए थे और विवेचक को लखनऊ तलब किया था। प्रदेश महिला आयोग की ओर से कई बार नाराजगी जाहिर की जा चुकी है।

हाल यह है कि इसी वर्ष विधान सभा सदस्यों के प्रोटोकाल उल्लंघन संबंधी प्रकरणों पर विचार-विमर्श के लिए विधान सभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में आयोजित एक फरवरी, 10 अप्रैल और 2 अगस्त की संसदीय अनुश्रवण समिति की बैठक में सदस्यों की ओर से शिकायत की गई कि जनपदीय व मण्डलीय अधिकारियों की ओर से फोन करने पर फोन नहीं उठाया जाता और फोन रिसीव होने पर समुचित शिष्टाचार से वार्ता नहीं की जाती है। साथ ही फोन न उठ पाने की स्थिति में अधिकारियों की ओर से दुबारा फोन भी नहीं किया जाता।

जिसको लेकर विधान सभा अध्यक्ष ने नाराजगी जताते हुए संसदीय कार्य विभाग को आदेशों का कड़ाई से अनुपालन कराने की हिदायत दी गई। जिसके बाद शासन ने पत्र जारी कर विभाग प्रमुखों को यह सुनिश्चित कराने को कहा है कि सभी अधिकारी संसद सदस्य एवं राज्य विधान मण्डल के सदस्यों का सीयूजी नम्बर अथवा उनकी ओर से नोट कराये गये फोन नम्बर अपने मोबाईल में सेव करें व फोन आने पर अनिवार्य रूप से उत्तर दें तथा बैठक व अदालत में होने पर मैसेज डालें और अनुपलब्धता की दशा में कॉलबैक करें।

आठ साल में आठ बार जारी हो चुका है शासनादेश

संसद से लेकर विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को लेकर शासन की ओर से जारी प्रोटोकाल और शिष्टाचार के अनुपालन को लेकर वर्ष 2015 से इधर आठ वर्षों में शासन की ओर से अधिकारियों और विभागीय प्रमुखों को बार-बार आदेश जारी किया जा रहा  है और आठ बार शासनादेश जारी हो चुका है, बावजूद इसके माननीयों के प्रति शिष्टाचार तथा प्रोटोकाल के अनुपालन में कोताही की शिकायत थमने का नाम नहीं ले रही है।

शिष्टाचार तथा प्रोटोकाल के अनुपालन को लेकर शासन की ओर से 2015 के बाद 16 सितंबर 2018, 22 सितंबर 2019, 23 मार्च 21,11 नवंबर 21, 14 जून 2022 को आदेश जारी किया गया। इस वर्ष 3 फरवरी 2023 और 27 अप्रैल 2023 को शासन आदेश जारी कर चुका है। इतना ही नहीं  शासन के  संसदीय शिष्टाचार पत्राचार कार्यान्वयन अनुभाग की ओर से शिष्टाचार को लेकर बार-बार हिदायत भी जारी की गई।

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