न्यूजक्लिक विवाद: सुप्रीम कोर्ट पुरकायस्थ, चक्रवर्ती की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर करेगा विचार
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और इसके मानव संसाधन (एचआर) प्रमुख अमित चक्रवर्ती की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। उन्होंने गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में उनकी गिरफ्तारी और पुलिस हिरासत को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाओं को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने के खिलाफ शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर की है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पुरकायस्थ एवं चक्रवर्ती की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इन दलीलों पर गौर किया कि मामले पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है। पीठ ने उन्हें मामले के कागजात उपलब्ध कराने को कहा। सिब्बल ने कहा,‘‘यह न्यूजक्लिक का मामला है। पत्रकार, पुलिस हिरासत में हैं। यहां एक आरोपी 75 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति है।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह मामले को सूचीबद्ध करने पर फैसला करेंगे। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में गिरफ्तारी और इसके बाद पुलिस हिरासत के खिलाफ दोनों व्यक्तियों की याचिकाओं को 13 अक्टूबर को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने उनकी यह दलील खारिज कर दी कि पुलिस ने जब उन्हें गिरफ्तार किया था, तब गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया था।
अदालत ने कहा था कि यूएपीए लिखित में आधार बताने का प्रावधान नहीं करता और आरोपियों को उनकी गिरफ्तारी की वजह के बारे में ‘सूचित’ करने का उल्लेख करता है। दोनों व्यक्तियों की याचिकाएं खाारिज करते हुए न्यायमूर्ति तुषार राव गडेला ने कहा था कि गिरफ्तारी में कोई प्रक्रियागत खामी नहीं है या कानून अथवा संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं हुआ है तथा हिरासत का आदेश कानून के अनुरूप है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि यूएपीए के तहत अपराध देश की स्थिरता, अखंडता और संप्रभुता को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं तथा सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करते हैं।
अदालत ने कहा था कि गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को इसके 24 घंटे के अंदर गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित करने की जरूरत है। पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद, उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख कर अपनी गिरफ्तारी और सात दिन की पुलिस हिरासत को चुनौती दी थी तथा अंतरिम राहत के तौर पर तत्काल रिहाई का अनुरोध किया था। निचली अदालत ने 10 अक्टूबर को उन्हें 10 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
चीन के समर्थन में प्रचार करने के लिए कथित तौर पर धन प्राप्त करने को लेकर दोनों व्यक्तियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था। उनके खिलाफ प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि भारत की ‘‘संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने’’ और देश में असंतोष पैदा करने के लिए समाचार पोर्टल को चीन से बड़ी राशि मिली थी। प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने के लिए पुरकायस्थ ने ‘पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज़्म’ (पीएडीएस) समूह के साथ साजिश रची थी।
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