बरेली: नींद में पीडब्ल्यूडी...गड्ढों में चाहे कितनी ही जान क्यों न चली जाएं

बरेली: नींद में पीडब्ल्यूडी...गड्ढों में चाहे कितनी ही जान क्यों न चली जाएं

बरेली, अमृत विचार। शहर और ग्रामीण क्षेत्र की कई सड़कों पर चलना किसी खतरे से खाली नहीं है। गुरुवार को भुता-फरीदपुर मार्ग पर गड्ढे में स्कूटी से गिरकर ट्रक की चपेट में बीएड छात्रा रोशनी की मौत ने सिस्टम की पोल खोल दी है।

कई साल से बदहाल 14 किमी भुता-फरीदपुर मार्ग के लिए शासन ने 2 नवंबर को 44 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। इसके बाद भी पीडब्ल्यूडी टेंडर की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं करा सका।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश और मंडलायुक्त और जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी जिले में सड़कें गड्ढामुक्त नहीं हो सकी हैं। शहर में सौ फुटा रोड और सिटी स्टेशन रोड के अलावा देहात में फरीदपुर, नवाबगंज, शेरगढ़ क्षेत्र की कई सड़कें बदाहल हैं। यहां भी कई लोग चोटिल हो चुके हैं तो कई अपनी जान गवां चुके हैं। इसके बाद भी अफसर ध्यान नहीं दे रहे।

अफसरों की सफाई... जरूरत से ज्यादा ट्रैफिक बना हादसे की वजह
एनएच 24 से गौसगंज होते हुए बुखारा-फरीदपुर मार्ग पर 32 लाख खपाने और उसके आठ महीने भी न चल पाने का मामला सामने आने पर पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी के अधिकारी सफाई दे रहे थे कि जरूरत से ज्यादा ट्रैफिक दौड़ने के कारण इस सड़क का पहले से भी ज्यादा बुरा हाल हो गया।

ठीक इसी तरह भुता-फरीदपुर मार्ग पर छात्रा की मौत मामले में कहा जा रहा है। निर्माण खंड के सहायक अभियंता ओमकार सिंह का कहना है कि 3.75 मीटर चौड़ी सड़क पर ट्रैफिक का लोड कई गुना अधिक होने की वजह से हाल खराब है। यह सड़क सात मीटर चौड़ीकरण में स्वीकृत हो चुकी है। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद ठेकेदार तय कर काम शुरू करा दिया जाएगा।

पीडब्ल्यूडी की 150 सड़कों पर ठोकर खाते रहिए

सड़कें सुधारने के लिए मुख्यमंत्री ने 31 अक्टूबर तक के निर्देश दिए थे। जिसके बाद जिले में लोक निर्माण, नगर विकास व ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अफसरों ने सड़कों के गड्ढे गिनवाए थे। अभियंताओं से एस्टीमेट तैयार कराए गए, लेकिन शहर व जिले की 500 से अधिक सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं।

इनमें लोक निर्माण विभाग की करीब 150 सड़कें तो ऐसी हैं, जिनमें एक भी गड्ढा नहीं भरा गया। गन्ना विभाग की 75 से अधिक सड़कें यातायात के लायक नहीं हैं। कमिश्नर और डीएम से पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने दिवाली तक सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का दावा किया था। जो अब भी अधूरा है। इसकी एक वजह से शासन से बजट नहीं मिलना भी है।

चार बार एस्टीमेट बने, सड़क एक बार भी नहीं बनी
धौरा से तजुआ तक की 2.5 किलोमीटर लंबी सड़क वर्ष 2019 से टूटी पड़ी है। चार बार एस्टीमेट बने। मंजूरी के लिए मुख्य अभियंता तक प्रस्ताव भेजे गए लेकिन एक बार भी निर्माण नहीं किया गया। न गड्ढे भरे गए। इस मार्ग पर कई राइस मिल हैं। दस हजार से अधिक लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है

बारिश में होती है अधिक मुसीबत

सड़क पर गड्ढों में सबसे अधिक मुसीबत बारिश के दौरान होती है। बारिश के दौरान वाहन चालकों को सड़क पर बने गड्ढों का अनुमान तक नहीं होता है जिससे कई बार वाहन चालक गिर भी जाते हैं। बड़े वाहन इनमें धंस भी जाते हैं। अब बारिश का दौर थमने के बाद इन गड्ढों से मुसीबत कम नहीं है। अब पूरे दिन धूल लोगों को परेशान करती है।


भुता-फरीदपुर मार्ग के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए शासन से 44 करोड़ रुपये मंजूर हो चुके हैं। दो नवंबर को मंजूरी मिलने के कुछ समय बाद ही निविदा आमंत्रित कर दी गई थी। जल्द टेंडर खोलने की प्रक्रिया पूरा होने पर ठेकेदार नियुक्त कर दिया जाएगा।-राजीव अग्रवाल, एक्सईएन, निर्माण खंड

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