बरेली: कारगिल युद्ध के दौरान कराची हार्बर से दो मील दूर तैनात थी भारतीय पनडुब्बी

बरेली: कारगिल युद्ध के दौरान कराची हार्बर से दो मील दूर तैनात थी भारतीय पनडुब्बी

शिवांग पांडेय, बरेली, अमृत विचार। कम ही लोगों को पता होगा कि वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध में समुद्री लड़ाई की भी तैयारी थी और इसके लिए भारत की ओर से पनडुब्बी की भी तैनाती की गई थी।

आईएनएस-शल्की नाम की ये पनडुब्बी भारत की पहली स्वदेशी पनडुब्बी थी जिसे 40 जवानों के साथ पाकिस्तानी सीमा के अंदर कराची हार्बर से दो मील दूर तैनात किया गया था। करीब 60 दिन तक चले कारगिल युद्ध के दौरान यह पनडुब्बी 35 दिन तक पानी के 50 मीटर नीचे तैनात रही, हालांकि युद्ध में इसका इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ी।

बरेली के जितौर गांव के चरण सिंह यादव कारगिल युद्ध के दौरान आईएनएस शल्की पर तैनात रही टीम के हिस्सा थे। बकौल चरण सिंह, कारगिल युद्ध की शुरुआत में नौसेना के गोपनीय मिशन के तहत आईएनएस शल्की की तैनाती कर दी गई थी।

35 दिनों की इस तैनाती के दौरान नौसैनिकों की टीम हर पल ऊपर से कोई आदेश आने का इंतजार करती रही लेकिन युद्ध खत्म होने तक निगरानी जारी रखने के अलावा कोई आदेश नहीं मिला। वैसे भी यह तैनाती समुद्री लड़ाई शुरू होने की स्थिति में उसका जवाब देने के लिए थी। युद्ध खत्म होने के बाद सीमाओं की सुरक्षा के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से ऑपरेशन विजय में पदक देकर सम्मानित किया गया।

सबसे बड़ी चुनौती था पनडुब्बी की बैट्री को चार्ज रखना
चरण सिंह के मुताबिक पाकिस्तानी सीमा के अंदर 35 दिन की इस तैनाती के दौरान सबसे बड़ी चुनौती पनडुब्बी को चलाने के लिए उसकी बैटरियों को चार्ज करना था। इसके लिए ऑक्सीजन को खींचने के लिए एक पाइप पानी की सतह के ऊपर निकाला जाता था।

इस दौरान निगरानी के लिए टेलिस्कोप के साथ एक नौसैनिक को तैनात किया जाता था ताकि बैटरी चार्ज करने के दौरान पाकिस्तानी नौसेना पर निगाह रखी जा सके और उसके हमले से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि पनडुब्बी में 528 बैटरी थीं जिन्हें चार्ज करने के लिए 440 केवीए के चार जनरेटर चलाए जाते थे।

चार दिन चलते थे कपड़े और आठ दिन जूते
पनडुब्बी में तैनाती के दौरान नौसैनिकों एक विशेष रूप से तैयार की गई वर्दी दी गई थी। इस वर्दी में ऐसे केमिकल का इस्तेमाल किया जाता था ताकि न नहाने पर भी शरीर पर दाद-खाज जैसी समस्या न हो। ये कपड़े उन्हें हर चार दिन बाद और बूट आठ दिन बाद बदलने होते थे। इसके बाद उन्हें समुद्र में फेंक दिया जाता था। वर्दी में एक अपर और एक लोअर को शामिल किया जाता था। ये विशेष सूट के दौरान अंडरवियर भी नहीं पहनना होता था।

चरण सिंह ने 15 साल तक सेवाएं दी नौसेना को
चरण सिंह यादव वर्ष 1987 में भारतीय नौसेना में मैट्रिक एंटी रिक्रूट के पद पर भर्ती हुए थे। उड़ीसा के पुरी के चिल्का लेक पर सामान्य प्रशिक्षण के बाद आईएनएस कुंभीर जहाज में तैनाती मिली।

फिर उन्हें मैकेनिकल ट्रेड के प्रशिक्षण के लिए आईएनएस शिवाजी में लोनावला टेक्निकल प्रशिक्षण केद्र भेजा गया। यहीं पनडुब्बी विशेष प्रशिक्षण में चुने गए। आईएनएस शल्की में तैनाती के लिए एक बार फिर विशेष प्रशिक्षण लिया। नौसेना में करीब 15 साल सेवाएं देने के बाद उन्होंने 2002 में वीआरएस ले लिया। अब कई साल से पंजाब नेशनल बैंक की फरीदापुर रामचरन शाखा में नौकरी कर रहे हैं।

ये भी पढे़ं- स्मार्ट सिटी: कमिश्नर का अल्टीमेटम, 31 तक पूरे हो जाएं अधूरे काम