कासगंज: जन्म प्रमाण पत्र के नाम पर बिछा है जलसाजी का जाल, सक्रिय है रैकेट

कन्नौज और कासगंज के दो फर्जी जन्म प्रमाण पत्र आए सामने

कासगंज: जन्म प्रमाण पत्र के नाम पर बिछा है जलसाजी का जाल, सक्रिय है रैकेट

 कासगंज, अमृत विचार: जिले में जालसाजी करने वालों का जाल बिछा हुआ है। जन्म प्रमाण पत्र के नाम पर बड़ी जालसाज़ी की गई है। फर्जीवाड़े के दो मामले सामने आए हैं। दोनों ही मामले पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के संज्ञान में आ चुके हैं। उसके बाद खलबली मच गई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने वालों पर कार्रवाई के लिए टीम गठित करने के निर्देश दिए हैं। इधर पुलिस भी मामले की जांच कर रही है।

केस वन: शुक्रवार सुबह शहर के मोहल्ला बद्दू नगर निवासी मोहम्मद राशिद जिला अस्पताल में अपने बेटे मोहम्मद असद का जन्म प्रमाण पत्र सत्यापित करने पहुंचे। यह जन्म प्रमाण पत्र उन्होंने बद्दूर नगर में ही एक लोकवाणी केंद्र पर बनवाया था। जब वह जिला अस्पताल में पहुंचे तो सत्यापन कराया, लेकिन पता चला कि जन्म प्रमाण पत्र फर्जी है।

जिला अस्पताल से है जारी नहीं किया गया है और इसका क्यू आर कोड भी फर्जी बनाया गया है। इसके बाद तो खलबली मच गई। फिर क्या था मामला अधिकारियों के संज्ञान में पहुंचा। अधिकारियों ने जांच शुरू कराई। प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। अधिकारियों ने कार्रवाई की बात कही है।

केस दो: एक और फर्जीवाड़ा कन्नौज जिले का सामने आया है। कन्नौज की रहने वाली मनोरमा के बेटे गंगा पाल का जन्म वर्ष 2016 में हुआ। उनका जन्म प्रमाण पत्र भी कासगंज जिला अस्पताल से जारी दिखाया गया है। जन सेवा केंद्र संचालक ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इनका क्यूआर कोड और भरी गई सारी जानकारी जिला अस्पताल में सत्यापित नहीं हो सकी । यह मामला भी काफी तूल  पकड़ा रहा। अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और पुलिस की टीम कार्रवाई की बात कर रही है।

अभी एक मामला संज्ञान में आया था। उसका सत्यापन कराया गया। एक अन्य मामला क्या है? यह संज्ञान में नहीं है। जन्म प्रमाण पत्र के नाम पर कहां फर्जीवाड़ा हो रहा है। इसकी जांच कराई जाएगी और पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जाएगा। अजीत चौहान, सीओ सिटी 

मामला संज्ञान में आया। अब तक दो मामले मेरे संज्ञान में आ चुके हैं। दोनों की जांच करा रहा हूं। दोनों ही सत्यापन में फर्जी प्रमाण पत्र पाए गए हैं। नोडल अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि एफआईआर कराकर जांच करें। डॉ. संजीव कुमार, सीएमएस