इंडोनेशिया पहुंचे म्यांमार अल्पसंख्यक समुदाय तीन सौ से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी

इंडोनेशिया पहुंचे  म्यांमार अल्पसंख्यक समुदाय तीन सौ से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी

बाली। म्यांमार अल्पसंख्यक समुदाय के 300 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी कई सप्ताह तक समुद्र में भटकने के बाद पश्चिमी इंडोनेशिया के तट पर पहुंच गए हैं। म्यांमार के करीब 180 शरणार्थियों का एक समूह स्थानीय समयानुसार शनिवार रात करीब आठ बजे नाव से आचे प्रांत के पिडी रीजेंसी के एक समुद्र तट पर पहुंचा और अन्य 135 शरणार्थी रविवार को पड़ोसी आचे बेसर रीजेंसी में उतरी। इनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। स्थानीय पुलिस प्रमुख रोली युइज़ा अवे ने टेलीफोन पर कहा कि अधिकारियों ने शरणार्थियों को किनारे पर रखा है।

पिडी में स्थानीय सरकार ने पहले कहा था कि वह शरणार्थियों को तंबू या अन्य बुनियादी ज़रूरतें उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि वे "कोई भी खर्च वहन नहीं करेंगे" और कोई आश्रय उपलब्ध नहीं है। स्थानीय अधिकारी और निवासी रोहिंग्या को अस्वीकार कर रहे हैं और उन्हें वापस जाने को कह रहे हैं, क्योंकि पिछले महीने एक हजार से अधिक लोग आ गए थे। बुधवार को आचे के सबांग द्वीप में लगभग 150 प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए क्योंकि उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों को स्थानांतरित करने का आह्वान किया था।

 संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के सुरक्षा सहयोगी फैसल रहमान ने कहा, “हम लोगों को स्थिति समझाना जारी रखते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि शरणार्थियों से निपटने का बोझ उन पर न पड़े। सरकार आश्रय प्रदान करने के लिए काम कर रही है क्योंकि आने वाले शरणार्थियों की संख्या बहुत अधिक है।” इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने शुक्रवार को कहा है कि शरणार्थियों के लिए "स्थानीय समुदाय के हितों को प्राथमिकता देते हुए" अस्थायी राहत प्रदान की जाएगी। उन्होंने नाव से उनके देश में पहुंचने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों की बढ़ती संख्या के पीछे मानव तस्करी नेटवर्क का आरोप लगाया और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

 उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है और वह म्यांमार से शरणार्थियों को लेने के लिए बाध्य नहीं है। लेकिन पड़ोसी देशों ने भी अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं, जिससे रोहिंग्या के पास कुछ अन्य विकल्प नहीं रह गए हैं। आचे में हाल ही में पहुंचे रोहिंग्या शरणार्थियों ने कहा कि वे कॉक्स बाजार और उसके आसपास के शिविरों में बढ़ती क्रूरता के कारण भाग गए, जहां दस लाख से अधिक लोग रहते हैं और यहां गिरोह नियमित रूप से फिरौती के लिए निवासियों का अपहरण और अत्याचार करते हैं। 

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में म्यांमार की सेना की कार्रवाई का निशाना ज्यादातर मुस्लिम रोहिंग्या थे। इनमें से लगभग दस लाख लोग बंगलादेश भाग गए हैं और वहां से हर साल हजारों लोग मलेशिया या इंडोनेशिया पहुंचने के लिए लंबी और महंगी समुद्री यात्रा पर अपनी जान जोखिम में डालते हैं। एक शरणार्थी मुहम्मद शोहिबुल इस्लाम ने कहा, “हम लगभग एक महीने और 15 दिनों तक समुद्र में थे।''

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