हल्द्वानी: साढ़े 12 हजार के लिए 327 किमी दूर मिलेगा रोजगार

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। निजी कंपनी की ओर से आईटीआई में अप्रेंटिस के लिए युवाओं की भर्ती की गई। आईटीआई में डिप्लोमा धारक युवाओं को काफी भीड़ रही है। बेरोजगारी का आलम यह है कुछ हजार मानदेय के लिए युवाओं को घर से दूर का सफर करना पड़ रहा है।

अशोक लेलैंड कंपनी ने अप्रेंटिस के लिए युवाओं की भर्ती के लिए शिविर लगाया। आईटीआई हल्द्वानी में भर्ती के लिए युवा दूर-दूर से पहुंचे। धारचूला से पहुंचे सुनील कुमार ने बताया कि उसने बताया कि उसने आईटीआई की है। अशोक लेलैंड कंपनी में अप्रेंटिस का मौका मिला है। एक साल तक अप्रेंटिस करने को मिलेगी। इसमें साढ़े 12 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। पूछा कि घर से इतनी दूर इस मानदेय में काम कर लोगे।

तो उसने कहा कि जो अवसर मिल रहे हैं, उसमें ही काम करना होगा। यही राहत है कि अपने राज्य में काम करने का मौका मिल रहा है। अशोक लेलैंड कंपनी में रुद्रपुर में अप्रेंटिस का मौका मिलेगा। धारचूला इसे रुद्रपुर की दूरी करीब 327 किमी है। दूसरी ओर राहुल वर्मा ने बताया कि वह गौलापार का ही रहने वाला है। अशोक लेलैंड कंपनी में अप्रेंटिस भर्ती की सूचना मिली तो आ गया। इसी तरह अन्य युवाओं का भी कहानी है।

कोई दूर पहाड़ से आया है तो कोई यहीं हल्द्वानी या आसपास का रहने वाला है। आईटीआई करने के बाद अप्रेंटिस के तौर पर केवल साढ़े बारह हजार मानदेय में भी लोग काम करने के लिए तैयार है। इसके लिए उन्हें अपने घर से दूर तक जाना पड़ रहा है।

नौकरी मिलेगी यह पक्का नहीं
हल्द्वानी। कंपनी की ओर से आए प्रतिनिधियों ने बताया कि युवाओं को अप्रेंटिस के लिए रखा जा रहा है। कितना मानदेय मिलेगा, इसकी जानकारी नहीं दी। मानदेय की जानकारी भर्ती के लिए आए युवाओं ने ही दी है। कंपनी के प्रतिनिधियों से सूवाल पूछा कि क्या अप्रेंटिस के बाद इन युवाओं को कंपनी में आगे पक्की नौकरी मिलेगी। तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
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चटाई पर बैठाकर किये गये इंतजाम
हल्द्वानी। अप्रेंटिस भर्ती के लिए भी बदइंतजामी थी। भर्ती के लिए आए युवाओं के लिए बैठने के लिए कुर्सियों तक का इंतजाम नहीं किया गया था। वहीं जमीन पर दरी बिछाकर युवाओं को बैठा दिया गया। 
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निर्माण कार्य चल रहा है इस वजह से व्यवस्थाएं पूरी तरह से नहीं हो पाईं। कुर्सियों की उपलब्धता भी जल्द हो जाएगी। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।-आरएस मर्तोलिया, प्रधानाचार्य, आईटीआई, हल्द्वानी

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