हल्द्वानी: दंगाइयों से मिलने पर पाबंदी, खाना भी खुले में खाने की इजाजत नहीं

हल्द्वानी: दंगाइयों से मिलने पर पाबंदी, खाना भी खुले में खाने की इजाजत नहीं

सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार।  जिन पर दंगे का आरोप है, उन्हें जेल में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। उनके लिए एक अलग बैरक बुक है और मिलाई पर पूरी तरह पाबंदी है। उन्हें बैरक में ही रखा और बैरक से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। उन्हें खाना भी बैरक में ही परोसा जा रहा है। सभी 42 दंगाई एक ही बैरक में हैं और अन्य कैदियों व बंदियों से दूर।

 हल्द्वानी उपकारागार में कैदियों और बंदियों की संख्या कभी 15 सौ से कम नहीं होती। ये संख्या जेल की क्षमता से लगभग दो गुनी है। इन्हें संभालना जेल प्रशासन के लिए पहले से ही चुनौती है। अब दंगे के मामले में गिरफ्तार किए गए 42 लोगों को भी पुलिस ने यहीं भेजा है। डर था कि अगर इन 42 लोगों को अन्य कैदियों व बंदियों के बीच रखा गया तो गड़बड़ हो सकती है।

ऐसे में जेल प्रशासन ने जेल में एक अलग बैरक का इंतजाम किया। बैरक नंबर दो में सभी एक साथ हैं। उन्हें बैरक में ही खाना-पीना मिल रहा है। इन्हें भी वही दाल-रोटी खिलाई जा रहा है, जो अन्य बंदियों और कैदियों को परोसी जा रही है। न तो उन्हें अन्य कैदियों व बंदियों की तरह आम बंदियों से मिलने की अनुमति है और न ही किसी बाहरी को मिलाई की इजाजत है। मिलाई पर पाबंदी कब तक रहेगी, यह स्पष्ट नहीं है। आगे भी जितनी गिरफ्तारियों होंगी, उन्हें भी यहीं रखा जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर और बैरकों का भी जेल प्रशासन इंतजाम कर रहा है।  

बैरक के बाहर लगाया गया है पहरा
हल्द्वानी : संभावना ऐसी भी है कि दंगे के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोग आपस में ही टकरा सकते हैं। अन्य बंदियों और कैदियों से भी उन्हें खतरा है। ऐसे में बैरक के बाहर भी पहरा बैठाया गया है। बताया जा रहा है कि दंगे के आरोपियों को देखने के लिए अन्य बंदी और कैदी उक्त बैरक के करीब पहुंच जा रहे हैं। जिन्हें वापस खदेड़ा जाता है। बैरक के बाहर पहरा शिफ्टों में लग रहा है। जेल में लगे सीसीटीवी से भी इन पर नजर रखी जा रही है।   

जेल चाहरदिवारी में घुसते ही हो गए बीमार
हल्द्वानी : दंगे के आरोपियों को कई टुकड़ियों में जेल लाया गया। इन 42 लोगों में कई ऐसे भी थे, जो थाने से मेडिकल कराने बेस और बेस से जेल के बाहर पहुंचने तक ठीक थे। ये जैसे ही जेल के भीतर पहुंचे तो तरह-तरह से बीमार होने लगे। किसी को दांत तो किसी को पेट में दर्द शुरू हो गया। आरोपी अस्पताल ले जाने की गुजारिश करने लगे, लेकिन जेल प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी। इन सभी का जेल के भीतर ही बनी डिस्पेंसरी में उपचार हुआ।  

जेल में सुरक्षा और निगरानी बढ़ा दी गई है। दंगे के आरोपियों को एक साथ रखा गया है। सभी का नियमित स्वास्थ परीक्षण भी कराया जा रहा है। अन्य बंदियों और कैदियों को दिया जाने वाले भोजन उन्हें भी दिया जा रहा है। 
- प्रमोद पांडे, जेल अधीकर, हल्द्वानी उप कारागार