Special Story : अंग्रेजों के लिए खूंखार, लेकिन मजलूमों का मसीहा था सुल्ताना डाकू...मुरादाबाद में यहां रहता है परिवार

Special Story : अंग्रेजों के लिए खूंखार, लेकिन मजलूमों का मसीहा था सुल्ताना डाकू...मुरादाबाद में यहां रहता है परिवार

अब्दुल वाजिद, अमृत विचार। हिंदुस्तान में डाकुओं के नाम की चर्चा हो और सुलताना डाकू का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता। सुल्ताना डाकू पर हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक कई फिल्में बनाई गई और नौटंकियां भी दिखाई गई। इसे देखकर यही लगता है की सुल्ताना डाकू किसी कहानी तक ही सीमित था। हालांकि सुल्ताना डाकू कोई मिथक या मिथ्य नहीं, बल्कि सच था। इतिहास के पन्नों में दर्ज सुलताना वो डाकू था जिसने अंग्रेजी हुकूमत के नाक में दम कर रखा था। सुल्ताना डाकू अमीरों, साहूकारों, और अंग्रेजों के लिए खूंखार डाकू था। जबकि, गरीब मजलूमों के लिए मसीहा था सुल्ताना डाकू। 

आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि गरीबों के मसीहा सुलताना डाकू के परिवार के लोग आज भी मुरादाबाद में रहते हैं। इतना ही नहीं मुरादाबाद की भांतु बस्ती के भातुओं के कब्रिस्तान में सुल्ताना की समाधि स्थित है। जबकि हरथल भांतु बस्ती में सुल्ताना डाकू का परिवार रहता है। सुल्ताना डाकू क़े पोते परपोते व झड़पोते अभी भी भांतू बस्ती में रहते हैं। जिनमें पोते स्व. विकट सिंह, परपोता स्व दुर्योधन सिंह व उनकी पत्नी सीमा सिंह व परिवार , स्व. राजन सिंह व उनकी पत्नी सरिता सिंह व उनका परिवार , स्व. संजय सिंह व स्व. हुश्ना सिंह व उनके बच्चे...झड़पोते विशाल सिंह व उनकी पत्नी दीपांशी सिंह तथा परपोती मधु बाला सिंह व उनका परिवार रहता है। 

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बचपन से था अंग्रेजों का दुश्मन
इतिहासकार बताते हैं की सुलताना अंग्रेजों और अमीरों से माल लूटता और गरीबों में लड़कियों की शादी के लिए तकसीम कर दिया करता था। देखने में सुलताना डाकू अपने नाम के जैसा रुआबदार नहीं था। उसकी कद काटी भी कुछ खास नहीं थी, बेहद ही दुबला, पतला और रंग भी काला। कहीं से भी देखकर ये नही कहा जा सकता की ये कोई डाकू है, जबकि आगे चलकर ये लड़का उत्तर प्रदेश का कुख्यात डाकू बन जाता है।  माना जाता है की सुलतान महज 17 साल की उम्र में डाकू बन गया था। अंग्रेजों से ही सुलताना की दुश्मनी थी। वो बचपन से ही अंग्रेजों को पसंद नहीं किया करता था। जबकि गरीबों से उसे दिली लगाव था। गरीबों के खून पसीने की कमाई से जमा किया हुआ अंग्रेज़ी खजाना सुलताना का पहला निशाना रहता था। कहा ये भी जाता है की नजीबाबाद में वीरान पड़े एक किले को सुल्तना ने अपना ठिकाना बना लिया था। जहां उसका सम्राजय फैला हुआ था। किसी दौर में वो किला वहां के राजा नजीबुद्दौलाह का कहा जाता था। जो आज भी नजीबाबाद में स्थित है। 

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अंग्रेजी महिला सुल्ताना को करती थी पसंद 
लंबे वक्त तक सुलताना का अमीरों और साहूकारों को लूटने का सिलसिला जारी रहा। कहा जाता है की उत्तर प्रदेश और पंजाब तक सुल्ताना डाकू का आतंक था। बड़े-बड़े अंग्रेज अफसर उसे ढूंढ़ते-ढूंढते थक चुके थे। इसके बाद अंग्रेज़ी हुकूमत ने पुलिस महकमे के तेज तर्रार अफसर फ्रेडी यंग को सुल्ताना को पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई। कहा ये भी जाता है की फ्रेडी की सुल्ताना से पहले दो मुलाकातें हो चुकी थीं, तीसरी मुलाकात होने वाली थी, जिसे वे अंतिम बनाना चाहते थे। जानकार ये भी बताते हैं की अंग्रेजी महिला सुल्ताना को पसंद करती थी और सुलताना का हमेशा पक्ष लिया करती थी। 

सुल्ताना डाकू ऐसे हुए गिरफ्तार
14 दिसंबर 1923 को ऑफिसर फ्रेडी को एक मुखबिर से जानकारी मिली कि सुल्ताना हरिद्वार के किसी गांव में डकैती डालकर अपने एक ठिकाने पर लौटा है। दो दिन बाद फ्रेडी और उनके 300 सैनिकों वाले दस्ते ने सुल्ताना को चारों ओर से घेर लिया। सुलताना चारपाई पर सो रहा था। तभी फ्रेडी जाकर सुल्ताना के ऊपर बैठ गए और आखिरकार 23 जून 1923 को सुल्ताना डाकू को गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके बाद डाकू सुल्ताना और चार साथियों को 10 जून 1924 को आगरा में फांसी दी गई। जबकि गैंग के 40 अन्य लोगों को काला पानी की सजा हुई।

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