जब पुरखों का गांव देख भावुक हुए चीफ सेक्रेटरी, पीढ़ियों को याद कर लिखा सदियों का इतिहास... आप भी पढ़ें   

जब पुरखों का गांव देख भावुक हुए चीफ सेक्रेटरी, पीढ़ियों को याद कर लिखा सदियों का इतिहास... आप भी पढ़ें   

लखनऊ, अमृत विचार। तरक्की की राह अक्सर अतीत को भूला देती है। लेकिन मकसद पा लेने के बाद उसकी सुनहरी यादें एक बार फिर करीब खींचने लगती है। कुछ ऐसा ही वाकया साझा करते हैं सूबे के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र। सरकारी कामकाज के दौरान ही उनका ऐसे गांव में जाना हुआ जहां उनके पुरखों की जड़ें हैं। गांव पहुंचते ही वंशजों का वो सदियों पुराना इतिहास उनकी आंखों के सामने तैर गया जिसे उन्होंने किताबों में पढ़ा और बुजुर्गों से सुना था। अपने इस अनुभव को उन्होंने किस भावुकता के साथ सोशल मीडिया पर बयां किया है आगे आपको बताते हैं....

उत्तर प्रदेश में सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र लगातार प्रदेश के दौरे पर रहते हैं। बीते रविवार को वह बस्ती जनपद में विकसित भारत संकल्प यात्रा में शामिल हुए। यहाँ वह जिले के कप्तानगंज विकास खंड के बढ़नी मिश्र गांव में भी पहुंचे। आम जनता से उन्होंने खुद संवाद किया और वहां चल रहे विकास कार्यों को भी देखा। 

अपने इस दौरे को लेकर उन्होंने बेहद भावनात्मक बातें अपने एक्स हैंडल पर लिखी हैं। मुख्य सचिव ने लिखा कप्तानगंज विकास खंड के बढ़नी मिश्र गांव में विकसित भारत संकल्प यात्रा के पड़ाव पर वहां के नागरिकों के साथ संवाद स्थापित कर मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हुआ। इस गांव से मेरा भावनात्मक जुड़ाव है, जहां पहुंचकर मेरी पुरानी यादें पुन: जीवंत हो उठीं।

यहां बसे थे हमारे पूर्वज   
मुख्य सचिव ने लिखा कि यह वह गांव है जहां से लगभग 350 साल पहले हमारे पूर्वज उस समय के आजमगढ़ की तहसील घोसी एवं वर्तमान के मऊ जनपद की तहसील मधुबन जाकर आठ गाँवों में फैले मिश्रान क्षेत्र में बस गए थे। गांव पहुंचकर मुझे खुद अपनी जड़ों से जुड़ाव का अनुभव हुआ व लोगों का अपनत्व देख सुखद अनुभूति हुई। मुख्य सचिव ने गांव का इतिहास बताते हुए लिखा कि बढ़नी मिश्र वह गाँव है जहाँ पर इक्क्षवाकु वंश के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ जी ने राजा दशरथ के चारों पुत्र श्रीराम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न को बचपन में शिक्षा-दीक्षा दी थी। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपनी हर विजय के लिए महर्षि के आशीर्वाद तथा शिक्षा-दीक्षा को ही स्थान-स्थान पर कारक बताया है।

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जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी और जनसहयोग से हो रहा विकास 
मुख्य सचिव डीएस मिश्रा ने गांव में हो रहे निर्माण और जनसहभागिता से विकास का जिक्र करते हुए लिखा कि आज इस गाँव में जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के सहयोग व संकल्प तथा विशाल जन सहभागिता से महर्षि वशिष्ठ जी एवं माता अरुंधति के मंदिर का निर्माण चल रहा है, जहाँ पर प्रभु श्रीराम अपने गुरु के साथ शिक्षा प्राप्त करते नजर आएंगे। फिलहाल वहाँ भगवान श्रीराम, लक्ष्मण तथा माता सीता का एक मंदिर है। इसके समीप ही बढ़नी मिश्र वंश के एकमात्र शेष बचे गोस्वामी तुलसीदास जी के समकालीन काशी से पढ़े-लिखे बाबा दामोदर मिश्र जी यानि दामू बाबा की मूर्ति उनकी आराध्य देवी जग जननी मां दुर्गा के आराधक के रूप में उपलब्ध है।

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इलाके के बारे में ये है मान्यता 
मुख्य सचिव ने इस पूरे इलाके के इतिहास के बारे में भी विस्तार से अपने एक्स हैंडल पर लिखा है। उन्होंने लिखा ऐसा कहा जाता है कि किसी विवाद पर तत्कालीन स्थानीय जमींदार (राजा) ने बढ़नी मिश्र के सारे लोगों को मृत्यु के घाट उतार दिया था। किन्तु जब वह विपत्तियों से घिर गया और उसे बताया गया कि बढ़नी मिश्र वंश का ही कोई उसका उद्धार कर सकता था, तब बहुत ढूढ़ने पर उस समय चूँकि दामू बाबा की माँ अपने मायके गई हुई थी, एवं उनका जन्म ननिहाल में हुआ था, इसलिए केवल वही शेष बचे पाए गए। उन्होंने ही उदार हृदय से राजा को माफ किया। बाद में वही एक मात्र संतान श्री दामोदर मिश्र जी ने वंश को आगे बढ़ाया। उन्हीं से आगे की पीढ़ी के श्री योगी मिश्र एवं श्री भोगी मिश्र उर्फ कौड़ी मिश्र बढ़नी गाँव छोड़ कर मधुबन क्षेत्र में पहुंचे एवं स्थानीय लोगों को अपने करतब दिखाकर इतना प्रसन्न कर दिए कि स्थानीय जमींदार ने उनके रुकने व जीवन यापन की व्यवस्था कर दी। आज वहाँ पर आठ गांव बसे हैं, जिसमें मेरा एक गांव पहाड़ीपुर भी है। इस पूरी कहानी को हमारे पड़ोसी गाँव एवं पारिवारिक संबंध में बाबा लगने वाले हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान साहित्यकार लक्ष्मीनारायण मिश्र जी ने लेखनीबद्ध किया है।

यहां से जुड़ी हैं हमारी जड़ें  
मुख्य सचिव ने लिखा कि ऐसे गांव में जहां से मेरे पूर्वजों की शुरुआत हुई है, यानि हमारी जड़ें विद्यमान हैं, पहुंचकर मैं बहुत ही भावुक एवं अत्यन्त आह्लादित हो गया। दुर्गा शंकर मिश्र लिखते हैं कि इस अवसर पर उस गांव के लगभग 2,000 लोग एकत्रित हो गए थे, जिनसे मैंने विकसित भारत संकल्प यात्रा के संबंध में विस्तार से संवाद किया। उन्हें बताया कि कैसे आज जब हमारा देश संकल्पबद्ध होकर 2047 में भारत को विकसित बनाने के माननीय प्रधानमंत्री जी के विजन को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है  तब उनका क्या कर्तव्य होगा।

क्षेत्र का हो रहा चहुंमुखी विकास 
विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान मुख्य सचिव ने सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतरते देखा और इसको लेकर अधिकारियों से फीडबैक भी लिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा-इस अवसर पर वहाँ पर विभिन्न विभागों जैसे स्वास्थ्य, महिला एवं बाल कल्याण, ग्राम विकास, कृषि, उद्यान, राज्य निर्वाचन अधिकारी  इत्यादि के द्वारा शिविर लगाकर वहाँ पर विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ उपलब्ध कराई जा रही थीं। विकसित भारत संकल्प यात्रा रथ के द्वारा लोगों को भारत सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जा रही थी। उन्होंने लिखा कि मुझे इस अवसर पर कुछ बढ़नी व समीप के गाँवों के ग्रामवासियों को आयुषमान कार्ड, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के अंतर्गत टूलकिट्स, प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत बैंक ऋण, गाँव के प्रधान जी को अच्छा कार्य करने के लिए सम्मान पत्र आदि वितरित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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पौधे लगाने का मिला सौभाग्य 
मुख्य सचिव ने एक्स हैंडल पर लिखा कि इस स्थान पर ग्राम विकास विभाग द्वारा एक अमृत सरोवर बनाया गया है जो पानी से लबा-लब भरा हुआ है। इस सरोवर के नजदीक अमृतवन में पुलिस महानिरीक्षक तथा मंडलायुक्त, बस्ती के साथ मुझे हरीशंकरी यानि पीपल, पाकड़ एवं बरगद के पौधे लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस ऐतिहासिक गाँव में महर्षि वशिष्ठ एवं माता अरुंधति के मंदिर के समीप ही पर्यटन विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार की पर्यटक सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं, जिससे मंदिर निर्माण के बाद यहाँ प्रभु श्रीराम के गुरु महर्षि वशिष्ठ एवं माता अरुंधति का आशीर्वाद लेने आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो।

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रामनगरी के समीप है ऋषि वशिष्ठ की ये धरती 
उन्होंने लिखा कि यह स्थान अयोध्या के काफी समीप है। गाँव के लोगों में काफी उत्साह था उन्हें भी ऐसा लग रहा था जैसे मैं उन्हीं के बीच का हूँ। ऐसा अपनापन एवं सानिध्य मुझे स्वत: आभास हो रहा था। मैंने इसकी कल्पना भी नहीं की थी कि मुझे अपने पूर्वजों के गांव में जाकर इस प्रकार का स्नेह एवं आशीर्वाद प्राप्त होगा। मेरे साथ मेरे छोटे भाई दिनेश जी भी मौजूद थे। उनके लिए भी यह व्यवहार कल्पना के परे था।

इस पूरे आयोजन के लिए, जिसने मुझे लोगों से मिलकर उनकी भावनाओं को समझने का अवसर प्रदान किया, इसके लिए जिलाधिकारी, मंडलायुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व अन्य विभागीय अधिकारी एवं अन्य सभी का मैं हृदय तल की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूं।

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