पाकिस्तान में चुनौतियां

पाकिस्तान में चुनौतियां

पड़ोसी देश पाकिस्तान की राजनीति में दो पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी दलों ने गठबंधन सरकार बनाने की घोषणा की है। पाकिस्तान में 2024 चुनाव के नतीजे राजनीति में अस्थिरता के साथ आर्थिक परेशानी और आतंकवाद बढ़ाने की ओर इशारा कर रहे थे। परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र में सरकार बनाने में देरी चिंता का कारण बन रही थी। क्योंकि पाकिस्तान में धीमी वृद्धि और रिकॉर्ड मुद्रास्फीति, बढ़ती आतंकवादी हिंसा के बीच निर्णय लेने के लिए अधिकार संपन्न के साथ एक स्थिर प्रशासन की आवश्यकता हमेशा रही है।

आखिरकार पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बीच गठन को लेकर जारी बातचीत आखिरकार रंग लाई और दोनों दलों के बीच नई गठबंधन सरकार बनाने को लेकर समझौता हो गया है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ (72) प्रधानमंत्री पद संभालेंगे, वहीं पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ जरदारी (68) दूसरी बार देश के राष्ट्रपति बनेंगे। पीएमएल-एन 79 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है और पीपीपी 54 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है। कहा जा रहा है 8 फरवरी को घोषित चुनाव परिणामों के बाद पाकिस्तान जिस राजनीतिक गतिरोध का सामना कर रहा था, उन पर फिलहाल  विराम लगा है। 

हालांकि देश में बनने वाली नई सरकार को गंभीर आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ेगा, जिसमें देश का खराब आर्थिक विकास, महंगाई, बेरोजगारी के साथ-साथ एक बड़ी चुनौती है। देश का आंतरिक और बाह्य कर्ज का बोझ है, जो पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ गया है।

पाकिस्तान की सबसे बड़ी आर्थिक चुनौती उसके विदेशी मुद्रा भंडार में आई कमी है। 2023 की शुरुआत में उसका विदेशी मुद्रा भंडार ऐतिहासिक रूप से गिरकर केवल 3.19 अरब डॉलर रह गया था। ये रकम केवल दो सप्ताह के लिए पाकिस्तान के आयात का बिल अदा कर सकने लायक़ थी और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा सुझाए गए न्यूनतम तीन महीने के भंडार के भी नीचे चली गई थी।

पाकिस्तान द्वारा लिए गए तमाम क़र्ज़ों में से 73 अरब डॉलर को 2025 तक चुकाने की चुनौती से ये नाजुक हालात और भी बिगड़ गए। पाकिस्तान पर लदे कर्ज के बोझ में से ज्यादातर हिस्सा चीन और सऊदी अरब का है। पिछले 60 वर्षों के दौरान पाकिस्तान, खुद  को संकट से उबारने के लिए आईएमएफ से 22 बार मदद की गुहार लगा चुका है।

अब देखना होगा कि सरकार किस तरह सबसे बड़ी चुनौती से निपटती है। अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि गठबंधन सरकार, अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कठिन निर्णय लेने में अन्य सहयोगी दलों का समर्थन जुटा पाएगी या नहीं।