मौत को मात देकर जीती जिंदगी की बाजी, अब क्रिकेट के मैदान में दिखा रहे दम, देखिए किडनी फेल्योर के बाद भी जीने का उत्साह...

भारत में पहली बार लखनऊ में हुआ इस तरह का आयोजन, दर्शकों मे वो दानवीर भी शामिल थे जिनके अंग दान से बची है इन खिलाड़ियों की जिंदगी

मौत को मात देकर जीती जिंदगी की बाजी, अब क्रिकेट के मैदान में दिखा रहे दम, देखिए किडनी फेल्योर के बाद भी जीने का उत्साह...

लखनऊ, अमृत विचार। देश में पहली बार लखनऊ में ऐसा क्रिकेट टूर्नामेंट हुआ जिसके खिलाड़ी कभी जीने की आस छोड़ चुके थे। लेकिन हौसला नहीं हारे और मौत को मात देकर इस क्रिकेट के मैदान तक पहुंचे। टूर्नामेंट में खेल रहे खिलाड़ियों से मार्मिक इसे देखने आए दर्शकों की कहानी है। दरअसल ये वो लोग हैं जिनके अंग दान ने ही इन खिलाड़ियों को नई जिंदगी दी है। अलीगंज के एलडीए स्टेडियम में आयोजित यह टूर्नामेंट महज खेल नहीं उन खिलाड़ियों के जीने के जज्बे की वो खूबसूरत तस्वीर है जो जिंदगी की उदासियाें से भरे लोगों को नई राह दिखाती है। वैसे तो टूर्नामेंट के लिए बहुत कुछ लिखा जा सकता है। इन खिलाड़ियों की किडनी फेल थी और प्रत्यारोपण के बाद इन्हें नई जिंदगी मिली है। बस इन तस्वीरों से समझिए की जीने की चाह हर मुश्किल में कैसे बना देती है राह...

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दरअसल, राजधानी स्थित चंदन अस्पताल की तरफ से केटी-10 क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन कराया गया था। जिसमें किडनी प्रत्यारोपण करा चुके लोगों ने एलडीए स्टेडियम में अपने खेल का बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इस दौरान खिलाड़ियों के वह परिजन भी मौजूद रहे हैं। जिन्होंने अपनी किडनी दान कर अपने प्रियजनों की जिंदगी बचाने का काम किया है।

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इस टूर्नामेंट के आयोजन सचिव डॉ. मनमीत सिंह ने बताया कि किडनी स्वास्थ्य और प्रत्यारोपण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए यह टूर्नामेंट एक मंच के रूप में कार्य करेगा। इसके जरिये गुर्दे की बीमारियों और उपचार के तौर-तरीकों से जुड़े प्रचलित मिथकों को दूर करने की एक कोशिश की गई है। उन्होंने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण के बाद किडनी की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति भी मरीज नहीं रह जाता। बल्कि वह अन्य स्वस्थ्य व्यक्तियों की तरह अपना पूरा जीवन जी सकता है, बस जरूरत है तो अपने डॉक्टर के दिशा निर्देश पर कार्य करने की। 

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डॉ. संत पाण्डेय और डॉ. मनमीत सिंह

 

नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. संत पाण्डेय ने बताया कि इस मैच में जो लोग मैच खेल रहे हैं। एक समय था जब इनकी सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस होती थी, लेकिन प्रत्यारोपण के बाद आज यह पूरी तरह फिट हैं। इससे यह साबित होता है कि प्रत्यारोपण के बाद बहुत कम दवाओं पर लोग पूरा जीवन जी सकते हैं।

खिलाड़ियों ने कही यह बात

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किडनी प्रत्यारोपित करा चुके युवक

 

क्रिकेट टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले शुभम ने बताया कि साल  2020 में मुझे किडनी की बीमारी हुई थी, उसके बाद 10 महीने तक डायलिसिस कराना पड़ा था। साल 2021 में मेरा प्रत्यारोपण हुआ था। आज मुझे कोई दिक्कत नहीं हैं, नार्मल इंसान और प्रत्यारोपण के बाद इंसान एक जैसा ही होता है। प्रत्यारोपण के बाद फिजिकल एक्टिविटी कर सकते हैं।

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प्रो.राजेश हर्षवर्धन खिलाड़ियों को सम्मानित करते हुये

 

इस अवसर पर एसजीपीजीआई अस्पताल प्रशासन विभाग के विभागाध्यक्ष और सोटो के संयुक्त निदेशक प्रो. राजेश हर्षवर्धन ने खिलाड़ियों और किडनी दान करने वाले उनके परिजनों को मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। मेडल पाकर खिलाड़ियों के चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास देखने को मिला है।

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प्रो.राजेश हर्षवर्धन ने कहा है कि भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है जहां पर किडनी प्रत्यारोपण के बाद ठीक हुये लोगों ने क्रिकेट मैच खेला हो। इस तरह के आयोजन से लोगों मे आत्मविश्वास बढ़ता है।

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