रामनगर: वन भूमि खाली कराने की मुनादी से मचा हड़कंप
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रामनगर, अमृत विचार। वन विभाग द्वारा वन भूमि पर बसे लोगों को अतिक्रमणकारी मानते हुए उन्हें भूमि खाली करने का अल्टीमेटम दिए जाने से लोगों में हड़कम्प मचा हुआ है। इसी के तहत छात्र संगठन आइसा के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने पुरजोर विरोध करते हुए उपजिलाधिकारी रामनगर को ज्ञापन दिया।
आइसा रामनगर अध्यक्ष सुमित ने कहा वन विभाग द्वारा रामनगर के गांवों व वन गांवों को खाली करने की घोषणा से हजारों की आबादी के सामने बेघर होने का संकट खड़ा हो गया है।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी ने कहा कि, भाजपा की राज्य सरकार का उत्तराखण्ड में गरीबों, भूमिहीनों को उजाड़ना ही प्राथमिकता हो गया है। इससे सरकार की गरीब, दलित अल्पसंख्यक विरोधी मानसिकता को समझा जा सकता है। लेकिन जिस तेजी से गरीबों को उजाड़ने की कार्यवाही की जा रही है अच्छा होता उतनी ही तत्परता से इन गांवों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती। राज्य की भाजपा सरकार किसी न किसी बहाने से गरीबों को बेघर करने और उस भूमि को बड़े पूंजीपतियों के लिए सुरक्षित करने की पुरजोर कोशिश कर रही है।
आइसा नेता शबनम ने मांग की कि, रामनगर के वन गांवों पुछड़ी, और अन्य गांवों को उजाड़ने की कोशिश बंद की जाय। अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर गरीबो को उजाड़ना बंद किया जाए तथा दशकों से पूछड़ी में रह कर आजीविकाओं में लगे लोगों को जहां है वहां मलिकाना दिया जाना चाहिए।
उपजिलाधिकारी की अनुपस्थिति में वरिष्ठ प्रशाशनिक अधिकारी सुनीता को ज्ञापना सौंपा गया। इस दौरान आइसा नगर अध्यक्ष सुमित, शबनम, प्रभात ध्यानी, आसिफ, रुखसाना अंसारी, चिंताराम, अनीता देवी, गुंजन देवी, पूनम् देवी, आरती, रिंकी देवी, डोली देवी, किशनपाल, शकीना, फरजाना, आशा, चद्रपाल, मतलूब हुसैन, निजामुद्दीन, वीरपाल, सावित्री देवी, प्रेमलता देवी, ममता, शांति देवी, गोपाल, रवि चंद्र, जिशान, मो. फैज़ान आदि मौजूद रहे।