दंगल फिल्म ने दिखाई राह, गीता बनीं बरेली की पहली एमएमए फाइटर

मिक्स्ड मार्शल आर्ट में कई खिताब कर चुकी हैं अपने नाम

दंगल फिल्म ने दिखाई राह, गीता बनीं बरेली की पहली एमएमए फाइटर

शिवांग पांडेय, बरेली। अभिनेता आमिर खान की दंगल फिल्म बीडीए कॉलोनी में रहने वाली 32 साल की गीता अर्याल के जीवन में ऐसा बदलाव लेकर आई कि अब लोग गीता को रिंग में लड़ते हुए देखकर उनके हौसले को सलाम करते हैं। गीता बरेली की पहली महिला मिक्स्ड मार्शल आर्ट (एमएमए) फाइटर हैं। उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में न सिर्फ प्रतिभाग किया, बल्कि उन्हें जीतकर जिले का नाम रोशन किया है।

गीता वर्तमान में मिक्स्ड मार्शल आर्ट के फ्लाई ग्रुप (सीनियर वर्ग) की खिलाड़ी हैं। उनके पिता ईश्वर शरण अर्याल और मां शारदा अर्याल ने बताया कि गीता दंगल फिल्म देखकर काफी प्रभावित हुईं और एमएमए फाइटर बनने का निर्णय लिया। गीता ने शुरुआती प्रशिक्षण के लिए इंटरनेट का सहारा लिया तो उन्हें एमएमए के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने एमएमए के विशेषज्ञ दीपक भास्कर से इस खेल को सिखाने का अनुरोध किया। गीता ने परिवार को विश्वास दिलाया कि वह इसमें अपना करियर बना सकती हैं । परिजनों ने उनका साथ दिया।

इन प्रतियोगिताओं में जीते पदक
गीता भोपाल में हुई राज्य स्तरीय एमेच्योर एमएमए इंडिया ओपन में स्वर्ण, छठवीं एमएमए इंडिया नेशनल लखनऊ में कांस्य, डोमिनेशन फाइट लीग में दो स्वर्ण जीत चुकी हैं। वह एमएए कंटेनडर्स रनरअप समेत अन्य मुकाबले में भाग ले चुकी हैं। वर्तमान में वह राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए खुद को तैयार कर रही हैं। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बीपीएड और एमपीएड कर चुकी हैं।

देश में भी बढ़ रहा मार्शल आर्ट का क्रेज
मार्शल आर्ट प्रशिक्षक दीपक भास्कर बताते हैं कि एमएमए प्रशिक्षण में प्रशिक्षुओं को रेडी टू फाइट तैयार किया जाता है। दुनिया भर में लोकप्रिय एमएमए को जापान जैसे देशों में बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें विभिन्न युद्ध शैलियों के प्रतियोगियों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जाता है। उत्तरी अमेरिका और दुनिया के कई हिस्सों में यह काफी लोकप्रिय है। अब भारत में भी इसका क्रेज बढ़ रहा है।

लड़कों के साथ अभ्यास करती हैं गीता
गीता बताती हैं कि स्कूल खत्म करने के बाद मैं खेलों में शामिल होना चाहती थी, लेकिन सामान्य खेलों में नहीं। एमएमए के बारे में जानकारी के बाद उन्हें अपना खेल मिल गया। मैंने राज्य और देश के लिए पदक लाने को एक पेशेवर फाइटर बनने के लिए प्रशिक्षण लेने का फैसला लिया। कोच दीपक ने गीता को लड़कों के साथ अभ्यास कराया।

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