औरैया: दोहरे हत्याकांड में निरुद्ध कमलेश पाठक को हाईकोर्ट से नहीं मिली जमानत

औरैया: दोहरे हत्याकांड में निरुद्ध कमलेश पाठक को हाईकोर्ट से नहीं मिली जमानत

औरैया, अमृत विचार। शहर के बहुचर्चित दोहरे हत्याकांड में चार वर्ष से जेल में निरुद्ध पूर्व एमएलसी कमलेश पाठक की गैंगस्टर मामले में जमानत याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय से दूसरी बार भी खारिज हो गई है। गौरतलब है कि 15 मार्च 2020 काे शहर के मोहल्ला नरायनपुर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर में अधिवक्ता मंजुल चौबे व उसकी चचेरी बहन सुधा की गोली लगने से मौत हो गई थी।

पुलिस ने दोनों की हत्या में पूर्व एमएलसी कमलेश पाठक उनके दो भाई पूर्व ब्लाॅक प्रमुख संतोष पाठक, रामू पाठक समेत 11 लोगों को हत्यारोपी बनाकर उनके विरूद्ध चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत की। दोहरे हत्याकांड को लेकर पुलिस ने 11 जुलाई 2020 को कमलेश पाठक के खिलाफ गैंगस्टर का भी मामला दर्ज कर उन्हें जेल में निरूद्ध कर दिया। इन दोनों मुकदमों की सुनवाई विशेष न्यायाधीश एमपीएमएलए कोर्ट में हो रहा है।

कमलेश पाठक को हाईकोर्ट से दर्ज हत्या व जानलेवा हमले के मामलों में 13 अप्रैल 2022 को जमानत याचिका स्वीकृत हो गई थी, लेकिन गैंगस्टर के मामले में उन्हें सत्र न्यायालय से जमानत हासिल नहीं हुई।सत्र न्यायालय के अदेश के विरुद्ध कमलेश पाठक ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें यहां से भी सफलता हासिल नहीं हुई और 23 फरवरी 2023 को हाईकोर्ट ने गैंगस्टर मामले में दायर जमानत याचिका खारिज कर दी।

वह हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट गये, लेकिन यहां भी उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी और आठ मई 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज कर दी। इस दौरान यह रियात कमलेश पाठक को दी गई कि वह एक वर्ष के बाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं। इसी आदेश को लेकर कमलेश पाठक ने दोबारा जमानत याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रस्तुत की। तथा यह तथ्य प्रस्तुत किया कि सत्र न्यायालय अभियोजन ने कुल 16 में से छह की गवाही अभी तक करवाई है। अत: मुकदमा निस्तारण होने तक उन्हें जमानत दे दी जाए।

वहीं उनके विपक्षी अधिवक्ता ने कमलेश पाठक के विरुद्ध थाने में दर्ज कुल 37 आपराधिक मामलों का ब्योरा प्रस्तुत कर जमानत का विरोध किया। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अभियोजन व बचाव पक्ष के वकीलों को सुनने के बाद कमलेश पाठक की जमानत याचिका खारिज कर दी। सत्र न्यायालय में अभियोजन की ओर से मुकदमा लड़ रहे हृदय नरायन पांडेय, रमेश चंद्र मिश्रा व अंकुर अवस्थी ने हाईकोर्ट के आदेश का अवलोकन कराते हुए इसे अभियोजन के लिए महत्वपूर्ण बताया।

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