इस बार चैत्र नवरात्रि पर करें देश के अलग-अलग मंदिरों के दर्शन

इस बार चैत्र नवरात्रि पर करें देश के अलग-अलग मंदिरों के दर्शन

चैत्र नवरात्रि का पर्व पवित्र पर्व है। इन दिनों मां के भक्त नौ दिनों तक मां के नौ स्वरूपों की अराधना करते हैं माना जाता है कि इन दिनों मां की अराधना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस बार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत हो रही है तो चलिए इस बार नवरात्रि पर करिए देश के अलग-अलग मंदिरों के दर्शन।

कामाख्या शक्तिपीठ
मां के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है कामाख्या शक्तिपीठ, जो कि गुवाहाटी में स्थित है। जिसका जिक्र कालिका पुराण में भी मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, माता सती के योनि का भाग कामाख्या नामक स्थान पर गिरा था। जिसके बाद इस स्थान पर देवी के पावन मंदिर को स्थापित किया गया।

नैना देवी मंदिर
नैनीताल झीलों का शहर है। यहां का प्रसिद्ध मंदिर नैना देवी मंदिर है। इस मंदिर को प्रसिद्ध शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है, कहा जाता है कि माता सती की यहां आंखें गिरी थीं, जिसके बाद से ये मंदिर नैना देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है,जहां हर साल भक्त मां के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

ज्वाला देवी मंदिर
हिमाचल प्रदेश में स्थित कांगड़ा का मां ज्वाला जी का मंदिर भी प्रसिद्ध मंदिर है,नवरात्रों में देश के कोने-कोने से भक्त पहुंचते हैं और मां का आशीर्वाद लेते हैं,देवभूमि में स्थित ज्वाला देवी मंदिर में अखंड ज्योति लगातार जलती रहती है। यह ज्योति प्राकृतिक है और सदियों से ये यूं ही जलती आ रही है। कहा जाता है कि सम्राट अकबर ने पवित्र ज्योति को बुझाने की बहुत कोशिश की । अकबर ने ज्योति बुझाने के लिए ज्वालामुखी के साथ लगते जल स्रोत से पानी की नहर ज्योत की तरफ मोड़ दी, लेकिन मां की चमत्कारिक पवित्र ज्योतियां बुझी नहीं और आखिर में उसने नतमस्तक होकर मां ज्वाला जी के दर पर सोने का छत्र चढ़ाया।

करणी माता मंदिर
राजस्थान के बीकानेर में है करणी माता का मंदिर इस मंदिर में मां की मूर्ति के साथ बड़ी तादाद में चूहे भी मौजूद हैं। ये मंदिर बीकानेर से 30 किलोमीटर दक्षिण दिशा में देशनोक में स्थित है। करणी माता का जन्म चारण कुल में हुआ यह मन्दिर चूहों का मन्दिर भी कहलाया जाता है। यहां भी नवरात्रों के दिनों में यहां भक्त मां के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।