शाहजहांपुर: मनरेगा में बजट का टोटा, पैसे की कमी से दम तोड़ रही योजनाएं

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Published By Vikas Babu
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शाहजहांपुर, अमृत विचार: कभी भारत सरकार की वरीयता क्रम में रही मनरेगा योजना की अब जिले में दुर्दशा हो गई है। धन के अभाव में निर्माण संबंधी तमाम योजनाएं धीरे-धीरे दम तोड़ रही हैं। ठेकेदारों पर रेत, बजरी, सीमेंट, मौरंग, पत्थर आदि का करोड़ों रुपये उधार हो चुका है। विभाग के पास छह महीने से पर्याप्त पैसा नहीं है। संविदा कर्मचारियों को मानदेय तक नहीं मिल पा रहा है। कुछ माह का वेतन कंटीन्जेंसी मद से देना पड़ रहा है। जिले के सभी ब्लॉकों की उधारी 15 करोड़ से ऊपर पहुंच चुकी है। ऐसे में नाला, पुलिया और इंटरलॉकिंग संबंधी 1000 से ज्यादा विकास कार्य लटक गए हैं। 

जिले में महात्मा गांधी रोजगार योजना के श्रमिकों को महीनों के मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है। श्रमिकों की मजदूरी का करोड़ों रुपया बकाया है। जिले भर में कुल 4.16 लाख पंजीकृत श्रमिक हैं। इनमें से लगभग 2.17 लाख श्रमिक सक्रिय रूप से कार्य करते हैं। एक श्रमिक को प्रतिदिन 230 रुपये पारिश्रमिक दिया जाता है। 

नियम है कि आठ दिन के भीतर श्रमिक को पारिश्रमिक मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। बीते कई महीने से श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान समय से नहीं हो पा रहा है। मनरेगा के तहत कार्यरत 740 ग्राम रोजगार सेवकों को भी समय से मानदेय नहीं मिल पा रहा है। मटेरियल सप्लाई फर्म वाले भी परेशान हैं क्योंकि उनकी भी करोड़ों रुपये की देनदारी हो चुकी है। सभी बकायेदार लगातार अधिकारियों के पास चक्कर लगा रहे हैं। जवाब एक ही है कि अभी ऊपर से पैसा नहीं आया है। जैसे ही ऊपर से पैसा आएगा सभी को दे दिया जाएगा।

लगातार घट रहा मनरेगा का क्रेज
जानकारों का मानना है कि इस तरह पैसा फंसने से मनरेगा का क्रेज और घटेगा। पहले ही कम मजदूरी दिए जाने के चलते श्रमिक मनरेगा की जगह प्राइवेट मजदूरी को वरियता दे रहे हैं। अब इस तरह से पैसा फंसने के चलते परिस्थितियां और खराब होंगी। श्रमिकों का रुझान मनरेगा से और घट सकता है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में मनरेगा योजना को लेकर संकट खड़ा हो सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि मनरेगा की स्थिति खराब होने की वजह सरकार की उदासीनता है। सरकार योजना को क्रियान्वित करने पर ध्यान नहीं दे रही है।

सिर्फ भावलखेड़ा में चार करोड़ बकाया
जिले के हर ब्लॉक में मनरेगा योजना के तहत ठेकेदार, श्रमिक और कर्मचारियों का पैसा बकाया है। सभी ब्लॉकों का पैसा जोड़ दें तो 15 करोड़ से ज्यादा का बकाया है। जिसमें सबसे ज्यादा 4 करोड़ का बकाया भावलखेड़ा ब्लॉक में है। इसी तरह डेढ़ करोड़ का बकाया सिंधौली, एक करोड़ पुवायां, डेढ़ करोड़ बंडा और एक करोड़ 25 लाख रुपये खुटार ब्लॉक में मनरेगा के तहत मैटेरियल सप्लाई करने वाली फर्म, श्रमिक और संविदा कर्मचारियों का बकाया है। इस तरह से जिले में कुल 15 करोड़ से ज्यादा पैसा इस समय मनरेगा योजना के तहत बकाया हो चुका है।

फैक्ट फाइल
4.16 लाख कुल श्रमिक पंजीकृत है मनरेगा योजना में
2.17 लाख श्रमिक सक्रिय रूप से करते हैं कार्य
आठ दिनों के भीतर श्रमिकों को भुगतान का है नियम
230 रुपये प्रतिदिन की दर से श्रमिकों को दी जाती मजदूरी

विभाग में बजट को लेकर स्थिति संतोषजनक नहीं है। ऊपर से ही पैसा समय से नहीं आ पा रहा है। जैसे-जैसे पैसा आता है हम ठेकेदार और कर्मचारियों को भेजते रहते हैं--- बाल गोविंद शुक्ला, उपायुक्त मनरेगा।

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