हल्द्वानी: जब लोकसभा चुनाव के नतीजों से पड़ा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर असर, खंडूड़ी, विजय बहुगुणा की हो गई थी विदाई

हल्द्वानी: जब लोकसभा चुनाव के नतीजों से पड़ा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर असर, खंडूड़ी, विजय बहुगुणा की हो गई थी विदाई

हल्द्वानी, अमृत विचारउत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने दो बार राज्य के मौजूदा सीएम की कुर्सी तक पर असर डाला है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही एक-एक मुख्यमंत्री को बदलाव झेलना पड़ा है। राज्य में अभी तक त्रिवेंद्र रावत ही ऐसे सीएम हैं जिनके कार्यकाल के दौरान लड़े गए लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है।

राज्य गठन के बाद पहले लोकसभा चुनाव साल 2004 में हुए। उस समय राज्य में कांग्रेस पार्टी से एनडी तिवारी सीएम थे। चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को एक ही सीट मिली। तिवारी का कद ही था, लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद भी उनकी कुर्सी नहीं गई। जबकि उस समय यह बात भी उठी थी कि अब केंद्र में कांग्रेस की सरकार है, तिवारी के कद को देखते हुए उन्हें केंद्र में जगह मिलनी चाहिए लेकिन राजनीतिक गुणा-भाग ऐसे रहे कि तिवारी सीएम बने रहे।

साल 2009 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा के बीसी खंडूड़ी सीएम थे। भाजपा पांचों लोकसभा सीट हार गई। बाद में तुरंत ही खंडूड़ी को सीएम पद से हटाकर डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को सीएम बना दिया। हालांकि, खंडूड़ी दोबारा फिर से सीएम बनाए गए थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के विजय बहुगुणा सीएम थे। विजय बहुगुणा के सीएम रहते भाजपा लोकसभा की पांचों सीटें जीत गई।

कुछ समय बाद कांग्रेस ने विजय बहुगुणा की जगह हरीश रावत को सीएम बना दिया। साल 2014 के लोकसभा चुनाव तक उत्तराखंड में जिस पार्टी की भी सरकार रही हो वह लोकसभा चुनाव के दौरान निराश रही। लेकिन साल 2019 में यह बदलाव हो गया। भाजपा के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय भाजपा ने राज्य की पांचों सीटें जीत लीं। बाद में त्रिवेंद्र लोकसभा चुनाव के नतीजों के करीब दो साल बाद सीएम पद से हटाए गए थे। हालांकि उनके पद से हटने के पीछे अन्य कई वजह रहीं।