सर्विस के दौरान किया गया कारनामा रिटायरमेंट के बाद पूर्व डीएम और सीडीओ पर पड़ा भारी, दर्ज हुई एफआईआर

सर्विस के दौरान किया गया कारनामा रिटायरमेंट के बाद पूर्व डीएम और सीडीओ पर पड़ा भारी, दर्ज हुई एफआईआर

लखनऊ। किसी ने क्या खूब कहा है कि अतीत कभी पीछा नहीं छोड़ता, ‌ऐसा ही मामला देखने को मिला है जहां पर एक पूर्व डीएम व सीडीओ के खिलाफ रिटायरमेंट के बाद एफआईआर दर्ज हुई है। दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ अपने कार्यकाल के दौरान निरस्त की जा चुकी एनजीओ को फंड दिलाने का आरोप है। दोनों अधिकारियों के कार्यकाल के दौरान निरस्त एनजीओ को फंड दिया गया और एनजीओ ने इस फंड से कोई काम भी नहीं किया। इस मामले में विजिलेंस ने जांच की और जांच करने के बाद दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। 

विजिलेंस की जांच के बाद वर्ष 2000 में चित्रकूट के जिलाधिकारी रहे पूर्व आईएएस अधिकारी ओम सिंह देशवाल और तात्कालिक मुख्य विकास अधिकारी पीसीएस भूपेंद्र त्रिपाठी सहित नौ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। सभी अधिकारियों के खिलाफ सरकारी धन के गबन और धोखाधड़ी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस की झांसी यूनिट में तैनात  दारोगा अतुल कुमार ने केस दर्ज कराया है। अतुल के अनुसार 6 अक्टूबर 2001 को पर्यावरण व ग्राम विकास अभियंत्रण सेवा संस्थान का रजिस्ट्रेशन डिप्टी रजिस्ट्रार सोसाइटी एवं चिटफंड फैजाबाद मंडल ने निरस्त कर दिया था। बाराबंकी के रहने वाले देवनारायण तिवारी की एनजीओ के निरस्त होने के बावजूद भी देवनारायण तिवारी संस्था के अध्यक्ष बने रहे।

एनजीओ का रजिस्ट्रेशन निरस्त होने के बाद तिवारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और फिर आदेश पारित होने के बाद एक फर्जी आदेश लगाकर तात्कालिक जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी की मिलीभगत के साथ सांसद निधि से संपूर्ण स्वरोजगार योजना, आईआरडीपी अवस्थापना से 19 लख रुपए से भी अधिक की रकम संस्थान के खाते में मंगाई गई और इसके बदले कोई काम भी नहीं किया गया।

मामला प्रकाश में आने के बाद विजिलेंस ने जांच शुरू की अपनी जांच में बिजनेस ने पाया कि लगभग 19 लख रुपए का फंड लेने के बावजूद संस्था की ओर से कोई काम नहीं किया गया। गलत तरीके से निरस्त एनजीओ को फंड देने और फंड मिलने के बाद जनहित में कोई काम न करने को लेकर तात्कालिक डीएम व सीडीओ सहित 9 अफसर के खिलाफ कूटरचित दस्तावेज, धोखाधड़ी सहित आठ धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

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