कारोना रोधी टीका: Vaccine की डेढ़ अरब से अधिक डोज लगने के बाद 10 लोगों में हुई थी ब्लड क्लाटिंग

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। कोरोना रोधी टीका कोविशील्ड को लेकर आ रही खबरों से घबराने की जरूरत नहीं हे। यह वैक्शीन पूरी तरह से सुरक्षित है। इसका खुलासा राजधानी स्थित किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने किया है। डॉक्टरों ने शोध कर इस बात का पता लगाया है कि कोरोना रोधी टीका लगने के बाद कितने लोगों में ब्लड क्लाटिंग की दिक्कत सामने आई। बताया जा रहा है कि कोरोना रोधी टीके की करीब 200 करोड़ डोज लगने के बाद महज 10 लोगों में खून का थक्का जमने की दिक्कत सामने आई। केजीएमयू के डॉक्टरों का यह शोध न्यूरोलॉजी इंडिया में प्रकाशित भी हो चुका है। 

दरअसल,बीते दिनों ब्रिटिश दवाई कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट के सामने एक बड़ी बात स्वीकार की है। उसने अदालती दस्तावेज में माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन के कारण एक दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकता है एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में कबूल किया कि कोविड-19 वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम में शरीर में खून का थक्का जमने और प्लेटलेट्स कम होने की दिक्कत सामने आती है। ब्लड क्लॉट की वजह से ब्रेन स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट यानी की हार्ट अटैक की समस्या हो सकती हे। भारत में भी एस्ट्राजेनेका ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर कोविशील्ड तैयार की थी।

केजीएमयू स्थित न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो.आरके.गर्ग ने बताया कि देश में जब करीब 200 करोड़ डोज कोराना रोधी टीके की लोगों को लग चुकी थीं। उस दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रकाशित शोध पत्रों का अध्ययन किया गया। यह शोध पत्र कोरोना रोधी टीके के दुष्प्रभाव पर छपे थे। जिसमें यह जानकारी निकल कर सामने आई कि इतनी डोज लगने के बाद कुल 10 लोगों में खून का थक्का जमने की शिकायत सामने आई। वहीं हर्पीज वायरस के 36 मामले सामने आये थे। उन्होंने बताया कि ऐसे में वैक्सीन के दुष्प्रभाव की आशंका बेहद कम है।

शोध करने वाली टीम

प्रो.आरके.गर्ग 
डॉ. हरदीप सिंह मल्होत्रा, 
डॉ. इमरान रिजवी
डॉ. बालेंद्र प्रताप सिंह

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