मुरादाबाद मंडल में सपा-बसपा का किला ढहाने की कोशिश में जुटी भाजपा, गठबंधन की नहीं हूई अभी कोई सभा

मुरादाबाद मंडल में सपा-बसपा का किला ढहाने की कोशिश में जुटी भाजपा, गठबंधन की नहीं हूई अभी कोई सभा

इरफान अहमद, अमृत विचार। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गढ़ रहे मुरादाबाद मंडल की छह लोकसभा सीटों पर इस बार आम चुनाव में भाजपा की निगाह गड़ गई है। भाजपा नेता इन सीटों को जीतने के लिए कड़ी मेहनत में जुटे हैं। वे भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में हर रोज जनसभाएं कर रहे हैं। इस बार इन सीटों पर भाजपा को राष्ट्रीय लोकदल का भी साथ मिला है। मंडल में बिजनौर की नगीना सीट से भाजपा-रालोद के संयुक्त प्रत्याशी ओम कुमार और बिजनौर सीट से रालोद के प्रत्याशी चंदन सिंह चौहान चुनाव मैदान में हैं। इसलिए जयंत चौधरी भी बिजनौर और अमरोहा में जनसभाएं कर चुके हैं। इस बार नगीना सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। लेकिन इन मंडल में भाजपा की जीत की राह कितनी आसान होगी, यह सवाल अभी चुनाव होने तक बन हुआ है।

देश में इस समय लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा हुआ है। भाजपा और कांग्रेस समेत सभी राजनैतिक पार्टियों के नेता अपने-अपने दलों के प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार कर वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा सत्ता में होते हुए भी चुनाव को हल्के में नहीं ले रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसभाएं कर केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाएं गिनाकर भाजपा के पक्ष में माहौल बना रहे हैं। उधर, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, इंडियन नेशनल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खरगे समेत कई बड़े नेता भी सभाएं कर चुनाव में जीत के लिए ताकत झोंक रहे हैं। 

देश के सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा पहले से अधिक सीटें जीतने का दम भर रही है तो कांग्रेस सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव में ताकत दिखाने में जुटी है। लेकिन यहां रामपुर से सांसद और विधायक रहे आजम खां सीतापुर की जेल में होने के चलते सपा मुखिया अखिलेश यादव अकेले पड़ते दिख रहे हैं। इनके अलावा बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस बार अपने भतीजे आकाश आनंद को चुनाव मैदान में उतार कर अपनी जीती हुईं सीटों को बचाने के साथ ही सपा की मुश्किलें बढ़ दी हैं।

आकाश नगीना में बसपा के उम्मीदवार सुरेंद्र पाल के समर्थन में अपने राजनीति करियर की पहली जनसभा कर चुके हैं। हालांकि बसपा के प्रत्याशियों के सामने भाजपा की राह भी आसान नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी बसपा के प्रत्याशियों के सामने अमरोहा, बिजनौर की दोनों सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था। अमरोहा लोकसभा सीट पर बसपा के टिकट से चुनाव लड़े कुंवर दानिश अली ने भाजपा के सांसद कंवर सिंह तंवर को हराया था। 

बिजनौर में नगीना सीट से बसपा के गिरीश चंद्र और बिजनौर सीट से मलूक नागर के सामने भाजपा व सपा के उम्मीदवारों को हार का समना करना पड़ा था। लेकिन इस बार नगीना सीट पर मुकाबला और रोचक हो गया है। यहां बसपा के सुरेंद्र पाल और नहटौर से मौजूदा विधायक ओम कुमार भाजपा-रालोद के संयुक्त प्रत्याशी हैं। इन दोनों के सामने सबसे बड़ी चुनौती आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्र शेखर आजाद बने हुए हैं। माना जा रहा है कि वह मुस्लिम और दलित वोटरों के दम पर बसपा-भाजपा की जीत की राह में बड़ी चुनौती है। हालांकि बसपा ने अमरोहा और बिजनौर की दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी बदले हैं।

दानिश अली बसपा से निष्कासित होने पर कांग्रेस का हाथ थामकर चुनाव लड़ रहे हैं तो बसपा ने मुसाहिद चौधरी को टिकट थमाया है। इन दोनों प्रत्याशियों के बीच मुसलमान और जाटव वोटरों का बिखराव होने पर भाजपा के कंवर सिंह तंवर की जीत की राह आसान होती दिख रही है। नगीना से पूर्व जज मनोज कुमार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बिजनौर सीट पर सपा ने युवा चेहरे पर दांव लगाया है। नूरपुर सीट से सपा विधायक रामअवतार सैनी के बेटे दीपक सैनी सपा के प्रत्याशी हैं। 

रामपुर और संभल में स्थित कुछ अलग है। यहां सपा ने भाजपा को टक्कर देने के लिए दो नए चेहरों पर दांव खेला है। रामपुर में नामांकन के अंतिम समय तक अखिलेश यादव और आजम खां के बीच प्रत्याशी को लेकर सहमति नहीं बन सकी थी। हालांकि बाद में रामपुर के ही रहने वाले मौलाना मोहिबुल्लाह को सपा का प्रत्याशी घोषित किया गया। वह राजनीति में नए हैं। उनका सामना भाजपा के मौजूदा सांसद घनश्याम सिंह लोदी से है। लोदी ने उपचुनाव में आजम खां को हराया था। 

संभल में सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रमान बर्क का निधन होने पर उनके विधायक पौत्र जियाउर्रमान बर्क को टिकट दिया गया। वह भाजपा के अनुभवी नेता परमेश्वर सैनी के सामने अपने करियर का पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन उन्हें दादा की राजनीतिक विसारत का फायदा मिल सकता है। मुरादाबाद सीट पर सपा ने अपना प्रत्याशी बदला है। सांसद डॉ. सैयद तुफैल हसन का टिकट काटकर बिजनौर की रहने वाली रुचि वीरा को प्रत्याशी बनाया है। रुचि वीरा का मुकाबला भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार कुंवर सर्वेश सिंह से है। सर्वेश सिंह मुरादाबाद की राजनिति में बड़ा नाम है। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें सपा के एसटी हसन ने हराया था। 

बसपा और सपा ने बदले अधिकतर प्रत्याशी
इस बार लोकसभा चुनाव में मंडल की कई सीटों पर सपा और बसपा ने अपने पुराने व मौजदा सांसदों को टिकट नहीं दिया। दोनों पार्टियों ने नए चेहरों पर भरोसा जताया है। बसपा ने नगीना से सांसद गिरीश चंद्र और बिजनौर से सांसद मलूक नागर, अमरोहा से सांसद कुंवर दानिश अली का टिकट काटा है। सपा ने भी मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बिजनौर की दों सीटों पर अपने प्रत्याशी बदले हैं। हालांकि गठबंधन होने पर अमरोहा की सीट कांग्रेस के खाते में गई है। गठबंधन की वजह से रामपुर में नवाब खानदान इस लोकसभा चुनाव से दूर हो गया है। हालांकि सपा-कांग्रेस का गठबंधन नहीं होने तक नवाब घराने की बहू बेगम नूरबानो मजबूती से चुनाव लड़ रही थीं। वह जिताऊ प्रत्याशी मानी जा रही थीं। लेकिन गठबंधन होने से वह प्रत्याशी नहीं बन सकीं। यहां सपा के नए चेहरे की वजह से भाजपा के लोदी की जीत की राह आसान दिख रही है। 

किस पार्टी के कितने नेता चुनाव प्रचार में फूंक रहे जान
मंडल की छह लोकसभा सीटों पर चुनाव प्रचार में अभी तक भाजपा ही सबसे अधिक सक्रिय दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभल में जनसभा कर चुके हैं। गृहमंत्री अमित शाह मुरादाबाद में एक कार्यक्रम कर कार्यकर्ताओं में जोश भर गए हैं। रामपुर व बिजनौर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जनसभाएं कर चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अमरोहा, रामपुर, संभल, बिजनौर और मुरादाबाद में कई सभाओं को संबोधित चुके हैं। उन्होंने मंगलवार को अमरोहा सीट से सटे हापुड़ में जनसभा की। इनके अलावा प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी भाजपा कार्यकर्ताओं के सम्मेलनों में आ चुके हैं। साथ ही भाजपा प्रदेश के अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह कार्यक्रम कर रहे हैं। भाजपा के सहयोगी रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत ने अमरोहा और बिजनौर में जनसभाएं की हैं। लेकिन सपा, बसपा और कांग्रेस के कार्यक्रम सिर्फ औपचारिक तौर पर हुए हैं। राहुल गांधी-प्रियंका गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल हुए थे। बसपा सुप्रीमो का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है। हालांकि उनके भतीजे आकाश आनंद नगीना में एक जनसभा कर गए हैं। अखिलेश यादव का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है। 

किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा है यहां का चुनाव
मंडल की सभी सीटों पर चुनाव प्रचार में भाजपा नेताओं ने राष्ट्रीय मुद्दे कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने, राममंदिर निर्माण, विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई और आतंकवाद का जिक्र किया है। साथ ही बिजनौर में मेडिकल कॉलेज, रामपुर में आजम खां को जेल भिजवाने, केंद्र और राज्य सरकार के विकास कार्यों का जिक्र किया। लेकिन अमरोहा, संभल में क्षेत्रीय मुद्दों पर बात नहीं हुई है। इनके अलावा भाजपा नेताओं के बयानों में बेरोजगारी, शिक्षा, छुट्टा पशुओं की समस्या जैसे मुद्दे गायब रहे हैं। हालांकि भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने शिक्षा, बेरोजगारों को रोजगार, किसान, मजदूरों के मुद्दों पर बात की थी।

क्षेत्रीय मुद्दे एजेंडे से गायब, क्या हो सकता है असर
बसपा से निष्कासित सांसद दानिश अली कांग्रेस से टिकट पाने में तो सफल हुए हैं, लेकिन, क्षेत्र की जनता उनका विरोध कर रही है। राहुल गांधी के सामने भी उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा था। लोग उनसे पांच साल का हिसाब मांग रहे हैं। इनके अलावा सपा ने विकास और जनता के मुद्दों की अनदेखी के चलते अपने कई प्रत्याशियों का टिकट काटा है। बसपा को भी अपने प्रत्याशी बदलने पड़े हैं। मंडल के सभी जिले विकास के मामले में पिछड़े हैं। अमरोहा में विकास कराने में पिछड़ने पर 2019 के चुनाव में भाजपा के सांसद कंवर सिंह तंवर को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार भी क्षेत्रीय मुद्दे भाजपा या दूसरे दलों के एजेंडे से दूर दिख रहे हैं। इसलिए बसपा और सपा को नुकसान हो सकता है। हालांकि भाजपा एक-दो सीट पर बढ़ बना सकती है। फिलहाल, इसका अभी चुनाव के नतीजे आने तक इंतजार करना होगा।

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