लखनऊ: पार्किनसन बीमारी को लेकर लोहिया संस्थान के डॉक्टरों का अनूठा प्रयोग, जानिए कैसे दूर होगा ये रोग
लखनऊ, अमृत विचार। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में विश्व पार्किंनस दिवस के अवसर पर डॉक्टरो ने अनूठा प्रयोग किया। न्यूरोलॉजी विभाग की तरफ से चलाए गए दो दिवसीय जागरूकता अभियान में मरीज के साथ बैठक कर उनसे सीधा संवाद किया। इतना ही नहीं उनके सवालों के जवाब भी दिए गए।
प्रतिवर्ष 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसन दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर न्यूरोलॉजी विभाग की ओर से 10 व 11 अप्रैल को जागरूकता अभियान चलाया गया। जिसमें पार्किनसन्स रोग के मरीजों से संवाद कर उनकी समस्याओं के निवारण पर भी चर्चा हुई।
न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो.दिनकर कुलश्रेष्ठ ने बताया कि यह अल्ज़ाइमर रोग के बाद तंत्रिका तंत्र की दूसरी सबसे आम डिजैनरेटिव बीमारी है। इसमें शरीर में कंपन, चाल में परिर्वतन, कड़ापन व कार्यशैली में धीमापन आने लगता है।
उन्होंने बताया कि यह बीमारी शरीर के मूवमेंट से जुड़ी समस्या है यानी कि डिसऑर्डर है। इस बीमारी में मरीज का हाथ, पैर से नियंत्रण बहुत कम हो जाता है इस बीमारी के होने पर हाथ व सिर खुद हिलने लगते हैं जिससे लोगों को चलने फिरने में दिक्कत होती है मेमोरी लॉस और डिप्रेशन की भी समस्या मरीजों में दिखाई पड़ती है।
डॉ अब्दुल कवी ने डोपामीन नामक रसायन पदार्थ की कमी को इस रोग का मुख्य कारण बताते हुए, लीवोडोपा नामक दवा के नियमित सेवन से बीमारी के लक्षणों पर काफी देर तक काबू पाये जाने के विषय में जानकारी दी। जब दवाएं बेअसर होती हैं तब डीप ब्रेन स्टिमुलेशन नामक फंक्शनल सर्जरी से लक्षण कम किए जा सकते हैं।
पीएमआर विभाग के अध्यक्ष प्रो. विरिंदर सिंह गोगिया ने पार्किनसन रोग में व्यायाम, रिलेक्सेशन,नियमित स्पीच एक्सरसाइज से लाभ मिलने की बात बताई।