Chaitra Navratri 2024: भक्तों व उनके परिवार का ‘कल्याण’ करती हैं मां ‘कल्याणी’...Unnao के अलावा अन्य जिलों से भी आते है भक्त

राजस्व अभिलेखों में अस्तित्व खो चुका है कल्याणी सरोवर

Chaitra Navratri 2024: भक्तों व उनके परिवार का ‘कल्याण’ करती हैं मां ‘कल्याणी’...Unnao के अलावा अन्य जिलों से भी आते है भक्त

उन्नाव, अमृत विचार। शहर की पुरानी आबादी होने के बावजूद मां कल्याणी मंदिर कभी बियाबान जंगल में बनाया गया था। सभी का कल्याण करने वाली मातारानी की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है। इसीलिए नवरात्र व आमदिनों में भी जिले के अलावा अन्य जिलों से लोग मातारानी के दर्शन करने पहुंचते हैं। यहां बाहर की ओर बारादरी का निर्माण कराया गया था। यहां प्रवास करने वाले श्रद्धालु मंदिर से लगे सरोवर में आस्था की डुबकी लगाने के साथ जल से आचमन भी करते थे। हालांकि, अब यह सरोवर जलकुंभी व गंदगी के साथ नालियों के पानी से पटा है। 

बता दें किवदंतियों के मुताबिक आबादी के बाहर जंगल में चरवाहे अपने पशुओं को चराने आते थे। कई बार चरवाहों को एक संत जंगल की ओर जाते हुए दिखाई देते थे। इसलिए चरवाहों में शामिल चंचल युवकों ने उत्सुकतावश एक दिन संत का पीछा किया। 

घने जंगल में पहुंचकर संत एक स्थान पर ठहर गए। उन्होंने ध्यान लगाकर पूजन-अर्चन शुरू किया, जिससे देवी प्रकट होकर दर्शन देने के बाद अदृश्य हो गईं। युवा चरवाहों के जरिए यह बात बस्ती के लोगों तक पहुंची और चर्चा का विषय बन गई। 

जिससे कौतुहल वश बड़े-बुजर्गों ने जंगल में जाकर संबंधित स्थान देखा। इसके बाद मूर्ति के स्थान पर मठिया का निर्माण कराते हुए मातारानी की पूजा शुरू की। यहां पहुंचकर सच्चे मन से देवी का स्मरण करते हुए पूजन-अर्चन करने वालों का कल्याण होने लगा। इसलिए लोगों ने मातारानी को कल्याणी माता कहना शुरू कर दिया। 

बुजुर्गों के अनुसार यह क्षेत्र खलार होने से बारिश का पानी यहां जमा हो जाता था और पूर्व वर्ष सूखता नहीं था। इसलिए मंदिर के सामने भरा रहने वाला जल सरोवर के रूप में इस्तेमाल होता रहा। दर्शनार्थी कल्याणी तालाब में स्नान कर दर्शन-पूजन कर वापस लौटते थे। 

इस दौरान कई आस्थावान श्रद्धालु बेहिचक सरोवर के जल से आचमन भी करते थे। यहीं निकट से लोन नदी भी प्रवाहित होती थी। मां कल्याणी देवी में आस्था रखने वाले भक्तों के सहयोग से अब मंदिर परिसर को भव्य रूप दिया जा चुका है। 

यहां अन्नपूर्णा सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। जिनका हमेशा पूजन-अर्चन जारी रहता है लेकिन, कल्याणी सरोवर की जमीन ताल्लुकेदारों द्वारा पट्टा किए जाने से राजस्व अभिलेखों में लोगों की निजी मिल्कियत दर्ज है। इससे मंदिर समिति सहित जनप्रतिनिधि भी तालाब का सौंदर्यीकरण नहीं करा पा रहे हैं। 

आटो व ई-रिक्शा से आसानी से पहुंचा जा सकता है मंदिर 

रेल व सड़क मार्ग से शहर पहुंचकर मंदिर जाने के लिए लखनऊ बाईपास सहित रेलवे स्टेशन व बस स्टाप से आटो व ई-रिक्शा से मंदिर पहुंचा जा सकता है। रेलवे स्टेशन से मंदिर काफी नजदीक है। इसलिए यहां आसानी से पैदल भी पहुंच सकते हैं। मंदिर परिसर में स्थित दुकानों में फूल व पूजन सामग्री मिल जाती है।

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