गोंडा: श्रीराम के तीर से प्रकट हुई थी माता, देवी बानगढ़ के नाम है ख्याति

श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है मनकापुर नगर में स्थित माता का पौराणिक मंदिर

गोंडा: श्रीराम के तीर से प्रकट हुई थी माता, देवी बानगढ़ के नाम है ख्याति

राज शुक्ला/मनकापुर, अमृत विचार। मनकापुर कस्बे में स्थित पौराणिक बानगढ़‌ देवी मंदिर हजारों भक्तों के आस्था और विश्वास का केंद्र है। बताया जाता है कि त्रेतायुग में जब भगवान राम धर्नुविद्या की परीक्षा दे रहे थे तो उनके धनुष से निकला तीर एक नीम के पेड़ से टकराकर रसातल में चला गया था और इसी स्थान पर देवी पिंडी रूप में प्रकट हुई। इसी से इनका नाम बानगढ़‌ देवी पड़ा। यहां मां भगवती के पूजन- अर्चन व दर्शन मात्र से भक्तों की मुंह मांगी मुरादें पूरी होती है।

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार मां भगवती बानगढ़ देवी का यह मंदिर त्रेतायुग से जुड़ा बताया जाता है। अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ के चारों पुत्र श्रीराम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न जब महर्षि वशिष्ठ के गुरुकुल में धनुर्विद्या सीख रहे थे तब एक बार शिष्यों को धनुर्विद्या में पारंगत होने की परीक्षा लेने के लिए गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम से चारों दिशाओं में बाण छोड़ने के लिए कहा। 

चारों दिशाओं में छोड़े गए बाणों में से तीन दिशाओं के बाण तरकस में वापस लौट आए लेकिन उत्तर दिशा में छोड़ा गया बाण जंगल में एक नीम की पेड़ से टकराकर रसातल में चला गया। उस स्थान पर मां भगवती पिंडी के रूप में अवतरित हुई। अवतरित पिंडी पर लोग पूजन अर्चन करने लगे। बाद में इस मंदिर को बानगढ़ देवी के नाम से जाना जाने लगा।  पूरे वर्ष यहां श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। सोमवार और शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग मां के मंदिर पहुंचकर माथा टेकते हैं। नवरात्रि के दिनों में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में पहुंच जाती है। 

कस्बे के बीच स्थित है माता बानगढ़ मंदिर 

अमृत विचार: मनकापुर स्टेशन मार्ग पर नगर के मध्य श्री बानगढ़ देवी का मंदिर स्थित है। माता यहां  इस नगर के ह्रदय की तरह विराजमान है। इस पुरातन मंदिर से श्रद्धालुओं की आस्था युगों से जुड़ी है। यह मंदिर पुरातन मंदिरों में से एक है और अवध क्षेत्र में होने के कारण इसकी विशेषता और बढ जाती है।

यहां वर्ष भर विवाह, मुंडन,वरीक्षा,कथा -भागवत व अन्य धार्मिक अनुष्ठान बराबर आयोजित किये जाते है। मंदिर के पुजारी श्रवण कुमार मिश्र बताते हैं कि यहां देवी भक्तों की मुरादें पूरी करती है। नवरात्र में प्रति दिन मेले का आयोजन होता है।

मंदिर परिसर में श्री राम भक्त हनुमान जी की विशाल मूर्ति स्थापित है। मुख्य द्वार के ऊपर शिवजी के अर्धनारीश्वर के स्वरूप शिव-पार्वती के साथ गणेश जी की पूजा होती है। मंदिर के सबसे ऊपरी भाग में पिंडी रुप में माता वैष्णो के भी दर्शन होते है।

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