Chaitra Navratri 2024: शंकरपुर में विराजी मां काली वर्षों से भक्तों की मनोकामनाएं कर रहीं पूर्ण...धार्मिक अनुष्ठान भी कराएं जाते

शंकरपुर में विराजी मां काली वर्षों से भक्तों की मनोकामनाएं कर रहीं हैं पूर्ण

Chaitra Navratri 2024: शंकरपुर में विराजी मां काली वर्षों से भक्तों की मनोकामनाएं कर रहीं पूर्ण...धार्मिक अनुष्ठान भी कराएं जाते

उन्नाव, अमृत विचार। उन्नाव अंतर्गत गंगाघाट शहर से कुछ दूरी पर बसा शंकरपुर सरायं गांव में सैकड़ों वर्ष पुराना मां काली का मंदिर है। नवरात्र के अलावा आम दिनों में भी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। जहां मांगलिक कार्यक्रम भी कराये जाते हैं। वहीं मंदिर में जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर जाता है, माता उसकी मुराद पूरी करती हैं। जिसके बाद भक्त विशाल भंडारे से लेकर भव्य श्रंगार तक कराते हैं।

बता दें शंकरपुर सरायं के बीच गांव में रामलीला मैदान के पास स्थित काली मां मंदिर भक्तों की आस्था का प्रतीक है। मान्यता है कि भक्त जो भी मनोकामनाएं मांगते हैं, मां उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर का इतिहास लगभग सौ साल पुराना है। एक बार कहीं दूर दराज कोई भक्त मॉ काली की मूर्ति बैलगाड़ी से लेकर गैर जनपद दूर कहीं अपने मंदिर में स्थापना के लिये जा रहा था।

तभी शाम का समय हो चुका था और गाड़ी का पहिया अचानक से टूट गया और मां काली की मूर्ति वही पर गिर गयी, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने मूर्ति उठाने का बहुत प्रयास किया लेकिन मूर्ति को उठा ही ना सके। आखिर लम्बे सफर से आने के कारण वह भक्त वहीं पर रात्रि विश्राम करने लगा और सो गये।

सुबह बैलगाड़ी का चालक पहिया बनवाने के बाद वहां पहुंचा। जहां उसने ग्रामीणो के सहयोग से बहुत प्रयास करने पर वह मूर्ति को उठा ही ना सका आखिर थक हार कर उसने उस मूर्ति को वही पर छोड़ ही दिया और फिर वह चला गया। फिर कुछ दिनो के बाद वहीं पर लोगों के सहयोग से मूर्ति स्थापित कर दी गयी और पूजन शुरू हो गया। बहुत सालो तक मूर्ति खुले आसमान के नीचे ही रखी रही। फिर भगवान में विशेष आस्था रखने वाले भक्तो के सहयोग से ही मां के दरबार में धीरे धीरे निर्माण होने लगा।

गांव के ग्रामीण तेजी से मां के दरबार से जुडने लगे और मां सभी भक्तों और ग्रामीणो पर अपना कल्याण करने लगी। मां में अटूट आस्था रखने के कारण व सर्वप्रथम जिस प्रत्याशी ने मां के दरबार में अपनी विजय की अर्जी लगायी, वह सफल भी हुआ। जिसके कारण गांव मे कई आर्थिक, राजनीतिक परिवर्तन भी हुये जो कि मां की विशेष कृपा और विश्वास के कारण सम्भव हुये। जिससे कि मां काली के प्रति लोगों मे आस्था, विश्वास और बढ़ गया। 

मां के दरबार की प्रमुख विशेषताएं

मां काली की मूर्ति एक विशेष प्रकार के काले पत्थर द्वारा निर्मित है, जो कि सूर्ख काली है जो कि अयोध्या मे प्रभु श्री राम की मूर्ति से और बांके बिहारी जी से पूर्ण रूप से मिलती है।

मां की, मूर्ति मे होता है परिवर्तन

मां की मूर्ति सुबह दोपहर और रात्रि के समय में चेहरे की स्थिति में पूर्ण परिवर्तन देखने को मिलता है। कभी मुस्कुराता हुआ चेहरा कभी शान्त कभी रौद्र रूप मे स्पष्ट प्रतीत होता है।

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