प्रयागराज: पोक्सो एक्ट के मामलों में पीड़िता की आयु होनी चाहिए निर्धारित, हाईकोर्ट ने जारी किये निर्देश

प्रयागराज: पोक्सो एक्ट के मामलों में पीड़िता की आयु होनी चाहिए निर्धारित, हाईकोर्ट ने जारी किये निर्देश

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पोक्सो एक्ट के मामलों में गलत तरीके से पीड़िता को नाबालिग दिखाकर अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कई मामलों में पीड़िता की उम्र का चिकित्सकीय निर्धारण जानबूझकर नहीं किया जाता है, क्योंकि इससे पीड़िता के वयस्क होने की पुष्टि हो जाएगी और अभियोजन पक्ष का मामला खारिज हो जाएगा।

पीड़िता को गलत तरीके से नाबालिग दिखाकर आरोपी व्यक्तियों को पोक्सो एक्ट के तहत अनुचित रूप से फंसाया जाता है, जिससे उन्हें अनिश्चितकाल के लिए जेल में डाला जा सके। कोर्ट ने आगे कहा कि पोक्सो मामलों में पीड़िता की उम्र में विसंगतियां आरोपी के अधिकारों और स्वतंत्रता को काफी हद तक प्रभावित करती हैं‌।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकल पीठ ने अमन उर्फ वंश को जमानत देते हुए पारित किया। मामले के अनुसार याची के विरुद्ध आईपीसी की धारा 363, 376 और पोक्सो अधिनियम की धारा 3/4 के तहत थाना शालीमार गार्डन, गाजियाबाद में मुकदमा पंजीकृत किया गया था। उक्त आदेश की एक प्रति सरकारी अधिवक्ता द्वारा अनुपालन के लिए पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश और महानिदेशक (स्वास्थ्य) उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ को भेजने का निर्देश भी दिया। मुख्य रूप से कोर्ट ने अपने आदेश में कुछ मुकदमों की सूची भी संलग्न की है जिसमें सरकार से उचित कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।

मौजूदा मामले में याची की गिरफ्तारी के समय पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए मेडिकल जांच नहीं की गई थी। बाद में तैयार की गई रिपोर्ट में पीड़िता की आयु 17 साल बताई गई जबकि पोक्सो के तहत याची को फंसाने के लिए एफआईआर में पीड़िता की उम्र 16 साल लिखवाई गई थी। पोक्सो एक्ट के तहत न्यायिक प्रक्रिया के ऐसे दुरुपयोग को देखकर पीठ ने कुछ निर्देश जारी किए। जैसे, पुलिस अधिकारी प्रत्येक मामलों में पीड़िता की आयु निर्धारण करने वाली मेडिकल रिपोर्ट शुरू में ही तैयार करेंगे और सीआरपीसी की धारा 164-ए के तहत बिना देरी कोर्ट में प्रस्तुत करेंगे। 

पीड़िता की आयु निर्धारित करने वाली मेडिकल रिपोर्ट कानून की स्थापित प्रक्रिया के अनुसार और नवीनतम वैज्ञानिक मापदंडों और  11 मेडिकल प्रोटोकॉल के अनुपालन में बनाई जाएगी। इसके साथ ही महानिदेशक (स्वास्थ्य) यह सुनिश्चित करेंगे कि मेडिकल बोर्ड में शामिल डॉक्टर विधिवत प्रशिक्षित हों और ऐसे मामलों में पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए स्थापित मेडिकल प्रोटोकॉल और वैज्ञानिक मापदंडों का पालन करें, साथ ही नवीनतम वैज्ञानिक विकास के अनुरूप रिपोर्ट तैयार करने के लिए इस क्षेत्र में लगातार शोध किए जाएं।

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