हल्द्वानी: बनभूलपुरा हिंसा के बाद भागे तो लौट कर वोट देने भी नहीं आए
हल्द्वानी, अमृत विचार। लोकतंत्र में भी बनभूलपुरा का एक हिस्सा कंपनी बाग (मलिक का बगीचा) डर में जी रहा है। पूरे बनभूलपुरा में चुनाव की चहल-पहल थी, लेकिन इस हिस्से में घरों पर ताले लटके थे। इनके मालिक बनभूलपुरा हिंसा के दिन परिवार समेत फरार हुए तो मतदान करने के लिए भी नहीं लौटे। जबकि सिर्फ नैनीताल-ऊधमसिंहनगर संसदीय सीट पर शत-प्रतिशत मतदान के लिए पैसा पानी की तरह बहा दिया गया।
बीती 8 फरवरी को इसी मलिक की बगीचा से हिंसा भड़की थी। हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब नगर निगम और प्रशासन की टीम पुलिस की सुरक्षा में बगीचा की जमीन पर बने अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त करने गई थी। उपद्रवियों ने पथराव से उपद्रव की शुरुआत की। आगजनी की, गोलियां चलाईं, निजी व सरकारी वाहनों और घरों को फूंका, बनभूलपुरा थाने को आग लगा दिया।
हिंसा के बाद सौ से अधिक लोगों की गिरफ्तारी और बड़ी संख्या में लोग घरों में ताले लगाकर परिवार समेत फरार हो गए। ये सभी घर मलिक का बगीचा के आस-पास हैं। ये संख्या बहुत बड़ी है, जिस पर स्थानीय लोगों का कहना है कि मकान मालिक और किराएदारों को मिलाकर करीब 4 से 6 हजार लोग अब भी बनभूलपुरा लौट कर नहीं आए। हालांकि इतनी बड़ी संख्या की प्रमाणिकता पर संशय है।