प्रयागराज: हाईकोर्ट ने मेरठ नगर आयुक्त को सावधान रहने की दी नसीहत, लगाया 10 हजार रुपए का जुर्माना

 प्रयागराज: हाईकोर्ट ने मेरठ नगर आयुक्त को सावधान रहने की दी नसीहत, लगाया 10 हजार रुपए का जुर्माना

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद वेतन वृद्धि से वंचित करने के मामले में कहा कि कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के अगले दिन वेतन वृद्धि देने के संबंध में कानून संवैधानिक न्यायालय द्वारा तय कर दिये गए हैं तो संबंधित अधिकारी द्वारा किसी अन्य सरकारी आदेश के आधार पर वेतन वृद्धि से इनकार करना संभव नहीं है। 

अगर कोई अधिकारी ऐसा करता है तो निश्चित रूप से इसे उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की अनदेखी माना जाएगा। इस तरह की कार्यवाही को खत्म करने की आवश्यकता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने श्रीपाल की याचिका को स्वीकार कर नगर आयुक्त, नगर निगम, मेरठ पर 10 हजार का जुर्माना लगाते हुए की, साथ ही याची को 1.7.2018 से 30.6. 2019 की अवधि के लिए ब्याज सहित वेतन वृद्धि का भुगतान करने का निर्देश भी दिया। 

दरअसल नगर आयुक्त ने वेतन वृद्धि के एक दिन पहले सेवानिवृत हुए याची के काल्पनिक वेतन वृद्धि के दावे को खारिज कर दिया था। इस पर न्यायालय ने उनकी ओर से दाखिल व्यक्तिगत हलफनामे पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब नगर आयुक्त याची को वेतन वृद्धि देने के लिए सक्षम प्राधिकारी थे तो उन्हें इस संबंध में किसी अन्य अधिकारी से राय लेने की क्या आवश्यकता थी। 

कोर्ट ने नगर आयुक्त के मनमाने क्रियाकलाप पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि नगर आयुक्त बच्चा या वार्ड नहीं है जो निदेशक, स्थानीय निकाय की गोद में बैठकर अपने अभिभावक या माता-पिता से निर्देश मांग रहा हैं कि मामले में क्या करना है। नगर आयुक्त की कार्रवाई को कोर्ट ने अस्वीकार करते हुए उन्हें भविष्य में सावधान रहने की चेतावनी दी हैं।

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