मालदीव में मुइज्जू

Amrit Vichar Network
Published By Moazzam Beg
On

हिंद महासागर में स्थित रणनीतिक रूप से अहम देश मालदीव के संसदीय चुनावों में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी की जीत को चीन समर्थक नेता के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण करार दिया जा सकता है। चीन और भारत के साथ मालदीव का नाजुक संतुलन लंबे समय से इसकी राजनीति में एक केंद्रीय विषय रहा है। हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन और भारत दोनों ने ही मालदीव में निवेश किया है। 

बीते साल राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने चीन समर्थक रुख अपनाया और देश के एक द्वीप पर तैनात भारतीय सैनिकों को हटाने का काम किया। वह मालदीव के कई बड़े प्रोजेक्ट चीन की कंपनियों को दे चुके हैं। संसद में उनकी पार्टी गठबंधन में थी परंतु उनके पास बहुमत नहीं था। मालदीव की संसद मजलिस में एमडीपी का बहुमत होने की वजह से राष्ट्रपति मुइज्जू की कई नीतियां लागू नहीं हो सकी थीं। 

अब संसदीय चुनाव में बंपर जीत के बाद उनकी ये भी परेशानी दूर हो गई है। नतीजों से साफ है कि मुइज्जू की ताकत बढ़ेगी। सरकार में चीन का दबदबा बढ़ सकता है। चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि चीन मालदीव के साथ अपनी परंपरागत दोस्ती को बनाए रखने के लिए काम करने का इच्छुक है। 

वह मालदीव के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के विस्तार का इच्छुक है तथा रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत करना चाहता है। समझा जा सकता है कि मालदीव में चीन की सक्रियता बढ़ना भारत के हित में नहीं है। यानी मोहम्मद मुइज्जू की जीत भारत के लिए चेतावनी है। 1965 में मालदीव एक स्वतंत्र देश बना। 

भारत इस द्वीपीय राष्ट्र को मान्यता देने वाला पहला देश था। 1972 में भारत ने मालदीव में अपना पहला उच्चायोग स्थापित किया, जबकि 2004 में मालदीव ने नई दिल्ली में अपना पहला पूर्ण राजनयिक मिशन खोला था। ठीक से देखा जाए तो भारत ने दो दशकों में मालदीव से उतार-चढ़ाव वाले कूटनीतिक संबंध बनाए रखे। 

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि चीन पर दोष मढ़ने की बजाय, भारत को अपने पड़ोसी देशों में चल रही गतिविधियों को ध्यान में रखकर दूरगामी रणनीति बनाने की जरूरत थी। विशेषज्ञ भारत को मालदीव के साथ रिश्तों में बदलाव की नसीहत दे रहे हैं। बता दें कि भारत के साथ मालदीव के रिश्ते तब और तनावपूर्ण हो गए जब भारतीय सोशल मीडिया पर लोगों ने मालदीव पर्यटन का बहिष्कार अभियान शुरू किया था। 

यह मालदीव के तीन उपमंत्रियों द्वारा लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देने के विचार को उठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में अपमानजनक बयान देने के खिलाफ था। कुल मिलाकर मोहम्मद मुइज्जू की जीत का असर भारत के साथ मालदीव के रिश्तों पर भी पड़ सकता है। आशंका है कि भारत और मालदीव के रिश्ते अभी और खराब हो सकते हैं।  

ये भी पढे़ं- जलवायु वित्त पर सुस्ती