बाराबंकी: जिंदगी और मौत की जंग से लड़ रहे अभय के हौसले बुलंद, पीएम मोदी से प्रभावित होकर उन पर लिख डाली रचनाएं
उंगलियों में माउस और एलईडी पर निगाहें, रचना लिखने में मशगूल अभय
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बाराबंकी, अमृत विचार। तबस्सुम लबों पर सजाये रख.., हार जब तक न हो तार जीत का लगाये रख...। जाने कब तुझे फिर से आफताब होना पडे़..राख की ढेर में थोड़ी सी चिंगारी दबाये रख..। यह लाइने किसी प्रसिद्ध शायर या कवि की नहीं बल्कि एक ऐसे इन्सान की है जो वर्षों से मोटर न्यूरॉन डिसऑर्डर नाम की बीमारी से जूझ रहा है। जिंदगी और मौत की जंग में उसके हौसले बुलंद है। शहर के पीरबटावन निवासी अभय चांदवासिया की उम्र लगभग पचास साल की है, और असाध्य रोग न्यूरोन डिसऑर्डर बीमारी से पीड़ित है।
शारीरिक रूप से दुर्बल, चलने फिरने में असमर्थ अभय बिस्तर पर लेटे लेटे जिन्दगी की अन्तिम सांसों तक अपने हौसले की उड़ान को जिन्दा रखे है। हलांकि आर्थिक रूप से समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखने वाले अभय चांदवासिया की सुविधाओं का पूरी तरह से ध्यान रखा जाता है। बिस्तर पर लेट एलईडी टीवी पर निगाहे और माऊस व की बोर्ड के सहारे अभय सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते है। बीमारी ने पंचान्नवे प्रतिशत शरीर को पूरी तरह से असमर्थ बना दिया है , लेकिन मन और ह्दय का कवि जब जागता है तो वह कभी अपनी रचनाओं से पीएम मोदी की तारीफ में रचनाएँ लिखते है तो कभी अपने अतीत की गहराइयों में गोते लगाते हैं।
नमी दरफ्तों में फिजा में खुशबू बनाए रख....
कहते है मन और हृदय में उडा़न और उत्साह है तो जिंदगी की जंग थोड़ी आसान हो जाती है। अमृत विचार ने अभय चंदवासिया से भेंट के दौरान अतीत के गुमनाम पन्नों को खोलने व मौजूदा स्थिति को लेकर बात की तो अभय ने बेबाक होकर हर बात का जबाब दिया। उन्होंने कहा कि बीमारी के क्षणों में मैंने महसूस किया कि कोई अदृश्य शक्ति मेरे आस पास है जो मुझे जीने की ताकत दे रही है, उन्होंने कहा वैसे तो जिंदगी और मौत के बीच की जंग को मैने बडे़ करीब से महसूस किया है।
सुख और दुख के इन मिश्रित क्षणों में खुद के पास किसी दैवीय शक्ति को महसूस करता हूं। जिसमें अलौकिक शक्ति का आभास होता है। बडा़ कुदेरने पर उन्होंने खुद के लिए वर्तमान स्थितियों पर लिखी एक रचना साझा करते हुए भावुक इन लाइनों के साथ अपनी बात को खत्म किया....इन शबनमी लम्हों में जी ले, झूमले मुस्करा ले... जमी पैरो तले है जबतक राख की ढेर में चिंगारी दबाये।
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