पुतिन की चीन यात्रा

पुतिन की चीन यात्रा

पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति बनने के बाद व्लादिमीर पुतिन की चीन यात्रा पर अमेरिका समेत पश्चिम देशों ने नजर जमा रखी है। यूक्रेन युद्ध में रूस के प्रति अपना समर्थन वापस लेने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ की ओर से पड़ रहे दबाव के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके रूसी समकक्ष पुतिन ने गुरुवार को अपने रणनीतिक संबंधों के भविष्य पर बातचीत की।

महत्वपूर्ण है कि बातचीत के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया जिसमें वैश्विक राजनीति को प्रभावित करने वाली कई अहम घोषणाएं की गईं। दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नाटो के रुख को विनाशकारी करार देने के साथ ही पूर्वोत्तर एशिया में शक्ति संतुलन को बदल कर अमेरिकी आधिपत्य स्थापित करने के प्रयासों की निंदा की।

पुतिन की ये यात्रा ऐसे समय पर हो रही है, जब यूक्रेन में रूसी सेना आगे बढ़ती जा रही और नाटो देश सीधे जंग की चेतावनी दे रहे हैं। रूस भी यूक्रेन में एक नए हमले की तैयारी कर रहा है। युद्ध के मैदान में रूस ने रफ्तार पकड़ ली है। पिछले सप्ताह उसने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव पर हमला करने के स्पष्ट प्रयास के तहत उत्तर-पूर्व में एक नया आक्रमण शुरू किया। 

यूक्रेन अमेरिका से नए हथियार मिलने की उम्मीद कर रहा है, लेकिन यह साफ नहीं है कि यह सब रूसी हमले का सामना करने के लिहाज से पर्याप्त होगा या नहीं। पुतिन का तात्कालिक लक्ष्य इस युद्ध को जीतना है, लेकिन उनके पास जीत का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं है।

वास्तव में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के चलते भू-राजनीतिक रूप से दुनिया में उथल पुथल है और रूस, चीन के नजदीकी भागीदार के रूप में उभरा है। इसका असर यह हुआ है कि रूस के खिलाफ पश्चिमी गठबंधन और सख्त हो गया है तथा चीन को भी इसका कुछ खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

उधर चीन भी यूरोप से संबंध सुधारने की मुहिम में जुट गया है। पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से रूस की अर्थव्यवस्था चीन पर निर्भर हो गई है। साथ ही पश्चिमी देश चीन पर आरोप लगा रहे हैं कि चीन युद्ध में इस्तेमाल होने वाला सामान भी रूस को भेज रहा है।

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन में उम्मीद जताई कि यूरोप में जल्द ही शांति और स्थिरता लौटेगी और चीन रचनात्मक भूमिका निभाएगा। जानकारों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में चीन यूक्रेन और रूस के बीच शांति समझौते की पहल कर सकता है। क्योंकि युद्ध ने पश्चिम के साथ रूस के रिश्तों को स्थायी नुकसान पहुंचाया है और रूस को चीन के हाथों में धकेल दिया।