Exclusive: बंद होने के समय तकनीकी जांच होती तो अब तक चालू रहता गंगापुल...तीन साल से लाखों की आबादी जाम का झेल रही दंश
उन्नाव में बंद होने के समय तकनीकी जांच होती तो अब तक चालू रहता गंगापुल
उन्नाव, (अमन सक्सेना)। गंगाघाट में वर्ष 2021 में पुराने यातायात पुल की कोठियों में दरार आने से पुल को बंद कर दिया गया था। लगभग तीन साल होने वाले हैं, इसके बावजूद कानपुर और उन्नाव जिला प्रशासन ने शुक्लागंजवासियों को जाम से निजात दिलाने के लिये कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया था।
इतना ही नहीं जिस समय पुराना यातायात पुल बंद हुआ था, उस समय सीआरआरआई के वैज्ञानिकों ने भी पुल का निरीक्षण कर कानपुर पीडब्ल्यूडी से 29 लाख रुपये मांगे थे लेकिन पीडब्ल्यूडी ने रुपये देना मुनासिब नहीं समझा और पुल सिर्फ इतिहास के पन्नों में रह गया। अगर बंद होने के समय तकनीकी जांच होती तो अब तक गंगापुल वाहनों का संचालन चालू रहता।
करीब 148 साल बीतने के बाद पुल की कानपुर की तरफ से 2, 10, 17 व 22 नम्बर की कोठी में दरारें आने के कारण 5 अप्रैल 2021 मध्य रात्रि को आनन फानन पुल को बंद करा दिया गया था। जिस कारण नवीन यातायात पुल पर वाहनों का अधिक भार बढ़ने के कारण लगभग तीन सालों से लोग जाम का दंश झेल रहे हैं। वहीं पुल की जांच के लिये जून 2021 में दिल्ली की केन्द्रीय सड़क अनुसन्धान संस्थान ने पुल का निरीक्षण किया और 29.50 लाख बताते हुए पीडब्लूडी (कानपुर) से भी कई तकनीकी खर्च के रूप में आर्थिक सहयोग की मांग की थी।
जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ने 20 सितंबर को दोबारा सात सदस्यीय टीम ने जांच की और 1 करोड़ 90 लाख रुपये से पुल की मरम्मत की बात कही थी। लेकिन पुल चालू के बारे में किसी ने ध्यान नहीं दिया। यदि उसी समय ही पुल की जांच हो जाती तो आज पुराना यातायात पुल हल्के वाहनों के लिये चालू हो सकता था और तीन सालों से जाम का दंश झेल रही लाखों की आबादी को जाम से निजात मिल सकती थी।
केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री से भी लगाई जा चुकी है गुहार
8 फरवरी 2023 को संदेश फाउंडेशन के अध्यक्ष संदीप पांडे ने दिल्ली स्थित परिवहन भवन पहुंचकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर पुराने यातायात पुल की मरम्मत कराने के साथ ही हल्के वाहनों के लिये चालू कराने की मांग की थी।
पश्चिमी क्षेत्र की छीनी रोजी रोटी
पुराना यातायात पुल बंद होने के कारण पश्चिमी क्षेत्र में रहने वाले दुकानदारों की रोजी रोटी छीन गई। जिस कारण कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दी और नौकरी करने को मजबूर हैं।