इलाहाबाद संसदीय सीट में फेल हो गई जनसभा व जागरूकता अभियान

गिर गया बीजेपी का मतदान प्रतिशत

इलाहाबाद संसदीय सीट में फेल हो गई जनसभा व जागरूकता अभियान

 प्रयागराज, अमृत विचार। लोकसभा चुनाव के छठवें चरण का मतदान शनिवार 25 मई को संपन्न हो गया है।वहीं, लोकसभा चुनाव के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मतदाताओं में वोटिंग के प्रति कम रुचि दिखाई देना बीजेपी के लिए खतरे का सबब बन सकता है।  बतादेंकि चुनाव आयोग के मुताबिक पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद संसदीय सीट में कुल 53.4 प्रतिशत वोटिंग हुई थी,जबकि इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में 51.75 फीसदी ही मतदान हुआ है। इस बार के।आंकड़े ने पिछली बार की तुलना में 1.95 प्रतिशत काफी कम है।

 इलाहाबाद सीट प्रदेश की सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। जहां दो नेताओं में एक  दिवंगत केसरीनाथ त्रिपाठी के पुत्र नीरज त्रिपाठी तो दूसरे कुँवर रेवती रमण सिंह के पुत्र उज्ज्वल रमण सिंह के बींच कड़ा मुकाबला रहा है।  लेकिन इसके बावजूद भी वोटिंग पिछले चुनाव के मुकाबले कम मतदान हुआ। वोटिंग में आई इस कमी को कुछ चुनावी महारथी बीजेपी के लिए बेहतर नहीं समझ रहे हैं। पिछले चुनाव के मतदान प्रतिशत की बात करें तो जब-जब मतदान का प्रतिशत कम रहा है, तब बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बजी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस बार हाट इलाहाबाद संसदीय सीट पर बीजेपी की मजबूती कम दिखी।

पोलिंग बूथ 51 मतदाताओं का घर से न निकलना क्या संदेश दे रहा है। 2014 और 2019 के वोटिंग प्रतिशत की तुलना 2024 के चुनाव से करें तो 2019 में इस सीट पर लगभग दो हजार कम मतदान हुआ था। फिर भी भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने विजय हासिल करते हुए परचम लहराया था।  प्रयागराज में प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अमित शाह की लगातार रैली के बावजूद यह कयास लगाया गया था कि इस बार चुनाव का प्रतिशत 60 के ऊपर होगा। इस चुनाव में कम मतदान कम हुआ। पिछले चुनावों से तुलना में इस बार लोगो में उत्साह कम देखने को मिला है।

 चुनावी विश्लेषक भी इस बार मतदान का प्रतिशत कम होने की वजह का कई कारण बता रहे हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि मतदाता बीते दो चुनाव के लहर जैसे ही इस बार भी बीजेपी की ही जीत को मान रहे थे। इस वजह से वो मतदान में उत्साह कम रहा। इसके साथ ही इस बार मतदाता धर्म के आधार पर भी वोट डालने को तैयार नही हुआ। विश्लेषक यह मान रहे हैं कि इस बार भी चुनावों में बीजेपी की इलाहाबाद सीट पर जीत आसान नही है।