शिक्षा क्षेत्र में सुधार

शिक्षा क्षेत्र में सुधार

पिछले दशक में हमने शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तनों पर ध्यान केन्द्रित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में जी-20 देशों के बीच भारत के सर्वोच्च वृद्धि दर्ज करने के बाद आया है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। 

उल्लेखनीय है कि दुनियाभर की 1500 यूनिवर्सिटी का सर्वे करने के बाद वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग-2025 जारी की गई है। वर्ल्ड रैंकिंग में भारत के 46 संस्थान शामिल हैं जबकि 2015 में केवल 11 भारतीय विश्वविद्यालय इसमें शामिल थे। इस प्रकार पिछले 10 वर्षों में इस संख्या में 318 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और एशिया में चीन व जापान के बाद सबसे ज्यादा संस्थान भारत के हैं। 

रैंकिंग के अनुसार भारतीय आईआईटी बॉम्बे और दिल्ली दुनिया के शीर्ष 150 विश्वविद्यालयों में शामिल है जबकि मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने 13वीं बार वैश्विक स्तर पर शीर्ष रैंक बरकरार रखी है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग विभिन्न मानदंडों पर संस्थानों का मूल्यांकन करती है जिसमें शैक्षणिक और नियोक्ता प्रतिष्ठा, संकाय/छात्र अनुपात, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क और विश्वविद्यालयों के सामाजिक व पर्यावरणीय प्रभाव शामिल हैं। 

महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री ने सरकार के तीसरे कार्यकाल में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए और अधिक काम करने की प्रतिबद्धता को दोहराया। वास्तव में भारत में शिक्षा का मात्रात्मक विस्तार तो हुआ है, लेकिन गुणात्मक मोर्चे पर यह अभी भी पीछे है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लचीले समुदायों का निर्माण करती है और शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक समाज बनाने में योगदान देती है। यह नागरिक जीवन में सहिष्णुता, समझ और सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देती है।

शिक्षा व्यक्तियों को बेहतर नौकरी की संभावनाओं, स्थायी आजीविका और स्वस्थ जीवन शैली के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करती है। यह नवाचार है रचनात्मक सोच को बढ़ावा देती है। हाशिए के समुदायों में रहने वालों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच की कमी है। इसके लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए विभिन्न हितधारकों को शामिल करते हुए एक व्यापक और बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। 

अब जब प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि आगामी राजग सरकार अगले दस वर्ष में सुशासन, विकास और आम नागरिकों के जीवन में न्यूनतम हस्तक्षेप पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसके लिए सभी क्षेत्रों में देश के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है, यह उपयुक्त समय है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जाए और ऐसा आधुनिक शिक्षण दृष्टिकोण अपनाया जाए जो उत्तरदायी एवं प्रासंगिक हो।

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