Exclusive: आसमान में उड़ने का सपना लेकिन पायलट बनना महंगा, प्रशिक्षण में आता लाखों का खर्चा

Exclusive: आसमान में उड़ने का सपना लेकिन पायलट बनना महंगा, प्रशिक्षण में आता लाखों का खर्चा

कानपुर, जमीर सिद्दीकी। परिंदों की तरह खुले आसमान में उड़ना हर किसी का सपना होता है। लेकिन इसके लिए पायलट बनने का प्रशिक्षण लेना काफी महंगा है। हालांकि अपने शहर में स्थित गर्ग एवियेशन फ्लाइंग क्लब दशकों से युवाओं की पायलट बनने की हसरत को पंख दे रहा है। पिछले पांच साल में करीब 800 युवा यहां से विमान उड़ाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं और विभिन्न एयर लाइंस में पायलट की सेवाएं दे रहे हैं।  

कानपुर के सिविल एयरोड्रम में साल 1996 में गर्ग एवियेशन ने पायलट ट्रेनिंग अकादमी स्थापित की थी। निजी क्षेत्र में स्थापित यह अकादमी अब तक करीब पांच हजार पायलट तैयार कर चुकी है। यहां से पायलट का प्रशिक्षण प्राप्त करने में 50 लाख रुपये का खर्च आता है। नागर विमानन महानिदेशालय के दिशा-निर्देशों पर कार्यरत यह अकादमी कामर्शियल पायलट का लाइसेंस प्रदान करती है, जिसे प्राप्त करने के बाद एयर लाइंस में पायलट की नौकरी के लिए पात्रता हासिल हो जाती है।  

प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता

पायलट प्रशिक्षण के लिए फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ विषयों से कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण होना तथा न्यूनतम 18 वर्ष आयु होना जरूरी है।  

छह विषयों की लिखित परीक्षा

नागर विमानन महानिदेशालय हर तीन माह में परीक्षा कराता है। यूपी में लखनऊ में परीक्षा होती है। पायलट का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे युवाओं को छह विषयों की परीक्षा पास करनी होती है। इसमें ढाई से तीन वर्ष समय लग जाता है। 

200 घंटे की उड़ान होती जरूरी  

यदि किसी छात्र ने 200 घंटे विमान उड़ाने की ट्रेनिंग ले ली है तो नागर विमानन महानिदेशालय अपने यहां उक्त छात्र का पंजीयन कर लेता है। इसके बाद कामर्शियल पायलट लाइसेंस जारी किया जाता है। 

करीब दो लाख रुपये प्रतिमाह वेतन

पायलट का वेतन डेढ़ लाख रुपये से शुरु होता है। यदि भारत में किसी एयरलाइंस में नौकरी मिलती है तो आरंभ में अधिकतम दो लाख रुपये मासिक का पैकेज होता है। यदि विदेश में किसी एयरलाइंस में अवसर मिला तो चार लाख रुपये से शुरुआत होती है लेकिन विदेशी एयरलाइंस में पायलट बनने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ती है।

रायबरेली में सरकारी ट्रेनिंग अकादमी

रायबरेली के फुरसतगंज हवाई अड्डे पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी स्थापित है। केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत इस अकादमी में 300 युवा पायलट का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस संस्थान में प्रवेश लेने के लिए टीसीएस प्रवेश परीक्षा आयोजित कराता है। संस्थान से पायलट का प्रशिक्षण प्राप्त करने में 50 लाख रुपये से अधिक का खर्च आता है।  इस समय रायबरेली में चीफ फ्लाइट इंस्ट्रक्टर नहीं होने के कारण गर्ग एवियेशन कानपुर के चीफ फ्लाइट इंस्ट्रक्टर मयंक गर्ग छात्रों को ट्रेनिंग दे रहे हैं।

एक कामर्शियल पायलट पर यात्रियों को आरामदायक और सुखद उड़ान सुनिश्चित कराते हुए कार्गो को गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है। नागर विमानन महानिदेशालय से वैसे तो पॉयलट का लाइसेंस 10 साल का होता है लेकिन मेडिकल सर्टिफिकेट हर साल स्वास्थ्य की जांच के बाद ही मिलता है। - विजय गर्ग, मुख्य अधिकारी, गर्ग एवियेशन। 

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