अमरनाथ की गुफा में अमर कबूतर! जाने क्या है इसके पीछे का सच
लखनऊ, अमृत विचारः अमरनाथ हिन्दुओं के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा यह धाम शिव-शक्ति का प्रतीक है। साल दर साल तमाम कठिनाइयों, बाधाओं और खतरों के बावजूद भी यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। विश्व भर में अमरनाथ ही एक ऐसी जगह है जहां भगवान शिव हिमलिंग के रूप में विराजित हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी गुफा में देवों के देव ने माता पार्वती को अगर होने का रहस्य बताया था। अमरनाथ की गुफा में ही अमर हो चुके कबुतर जोड़े का भी वास है। जो हर दिन बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं। आइए जानते हैं अमर हो चुके कबुतरों के रोचक रहस्य। ऐसा भी कहा जाता है कि सबसे पहले महर्षि भृगु ने अमरनाथ गुफा की यात्रा कर देवों के देव महादेव के दर्शन किए थे।
अमरनाथ गुफा का रहस्य
पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि एक बार भगवान शिव और माता पार्वती के बीच कुछ चर्चा हो रही थी। इस दौरान उन्होंने मां पार्वती को मोक्ष पाने का रास्ता दिखाया था। जिसके बाद माता पार्वती ने भगवान शिव से उन्हें मोक्ष का रास्ता जानने की इच्छा जाहिर की। जिसके बाद भगवान शिव उन्हें अमृतज्ञान सनुने के लिए राजी हो गए, लेकिन उन्होंने कहा कि इस दौरान माता पार्वती को हां-हां बोलते रहना होगा, लेकिन इस दौरान माता पार्वती को नींद आ गई। वहां मौजूद कबूतरों का एक जोड़ा ने भगवान शिव की कहानी सुनता रहा और लगातार आवाज भी निकालता रहा, जिससे भगवान शिव को लगा कि माता पार्वती उनकी कहानी सुन रही हैं। कथा सुनने की वजह से दोनो कबूतरों को भी अमरत्व प्राप्त हो गया। आज भी अमरनाथ की गुफा में दोनो कबुतर मौजुद हैं। जिन्हें माता-पार्वती और शिव का ही एक रूप भी माना जाता है। इनके दर्शन करना भी काफी शुभ माना जाता है।
बिना खाना-पानी रह रहे दोनो
अमरनाथ चारों और बर्फ से ढका हुआ रहता है। जहां ऑक्सीजन की मात्रा लगभग न के बराबर रहती हैं। दूर-दूर तक जहां खाने-पीने का कोई साधन नहीं रहता है। वहां पर दोनो बिना किसी दिक्कत के रह रहे हैं।
महर्षि भृगु ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन
अरमनाथ की पौराणिक मान्यताओं में महर्षि कश्यप और महर्षि भृगु का भी वर्णन हैं। कहा जाता है कि एक बार कश्मीर जलमग्न हो गया और बड़ी झील में तब्दील हो गया था। जगत कल्याण के लिए ऋषि कश्यप ने जलमग्न हुए कश्मीरी झीलो को छोटी-छोटी नदियों के जरिए बहा दिया। उस समय ऋषि भृगु हिमालय की यात्रा पर थे। जैसे-जैसे जल स्तर कम होने लगा वैसे हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएं उजागर होने लगी। जिसके बाद महर्षि भृगु ने अमरनाथ की पवित्र गुफा और बाबा बर्फानी का शिवलिंग को सबसे पहला देखा था।
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