किचन का गलत वास्तु बढ़ा सकता है मेडिकल बिल!
किचन में अगर आग, पानी और दिशाओं का संतुलन बिगड़ा हो तो सबसे ज्यादा असर पाचन शक्ति, ब्लड प्रेशर, तनाव, हार्मोनल और स्त्री रोगों पर देखा जाता है। आसान उपायों से बिना तोड़ फोड़ के भी किचन के वास्तु को काफी हद तक संतुलित किया जा सकता है। जिससे आप और आपका परिवार खुशहाल जीवन बिता सकता है। -आचार्य मधुरेंद्र पांडेय
कौन सी बीमारियां संभव हैं
अगर किचन उत्तर पूर्व (ईशान) दिशा में हो तो गैस, एसिडिटी, कब्ज, पाचन गड़बड़ी, मानसिक तनाव और चिंता जैसे रोग बढ़ सकते हैं, क्योंकि यहां जल तत्त्व पर अग्नि हावी हो जाती है।
दक्षिण पश्चिम (नैऋत्य) में किचन होने पर घर के पुरुषों को ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, दुर्घटना, क्रॉनिक स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ने की संभावना मानी जाती है।
दक्षिण पश्चिम किचन या आग तत्त्व की गड़बड़ी से घर की महिलाओं को पैरों में दर्द, कमजोरी और स्त्री रोग, हार्मोनल इंबैलेंस की दिक्कतें भी बताई गई हैं।
किचन में रंग और ऊर्जा गलत हों (जैसे बहुत गहरा लाल या नीला/जल तत्त्व वाले रंग) तो सिरदर्द, माइग्रेन और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है।
क्या है आदर्श वास्तु
किचन की सबसे शुभ दिशा दक्षिण पूर्व (अग्नि कोन) मानी जाती है, इसके बाद उत्तर पश्चिम दिशा ठीक रहती है।
गैस चूल्हा या कुकटॉप दक्षिण पूर्व कोने में हो और खाना बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो तो स्वास्थ्य और ऊर्जा दोनों के लिए अच्छा रहता है।
सिंक, वॉश बेसिन, ड्रेनेज आदि उत्तर या उत्तर पूर्व साइड में रखें, ताकि पानी और आग तत्त्व आपस में टकराएं नहीं।
आसान घरेलू उपाय
जहां पर भी चूल्हा लगा है, उस ज़ोन को साफ सुथरा रखें, रोज़ दीया या छोटी लौ जलाकर 2 3 मिनट मंत्र/प्रार्थना करें, इससे अग्नि तत्त्व संतुलित होता है और नकारात्मक ऊर्जा कम होती है।
अगर किचन उत्तर पूर्व में है, तो वहां हमेशा सफाई रखें, हल्के पीले/क्रीम रंग का पेंट या स्टिकर लगाएं, आग के ठीक आसपास लाल रंग कम से कम रखें, और उस कोने में ज्यादा भारी सामान न रखें।
दक्षिण पश्चिम किचन होने पर उस कोने में भारी स्टोरेज (अनाज, डिब्बे) रखें, खूब अर्थी टोन (ब्राउन, बेज) के रंग प्रयोग करें और रोज़ मोटा सेंधा नमक छोटे कटोरे में रखकर बदलते रहें, इससे तनाव और विवाद की ऊर्जा कम होती मानी जाती है।
किचन में पीला, हल्का नारंगी, ब्राउन जैसे गर्म लेकिन सॉफ्ट रंग दीवारों/टाइल्स/कर्टेन में रखें, नीला/डार्क ब्लू और काला रंग कम से कम रखें, खासकर गैस के पीछे या आसपास।
अगर किचन में कोई कोना डेड या बहुत बंद है, वहां हल्का क्वार्ट्ज/मेटल पिरामिड या छोटा फव्वारा/पौधा रखने से रुकी हुई ऊर्जा को चलायमान करने में मदद मिलती है (कॉमर्शियल पिरामिड भी बहुत लोग इसी उद्देश्य से लगाते हैं)।
स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त टिप्स
किचन हमेशा साफ, सूखा और हवादार रखें, एग्ज़ॉस्ट या चिमनी से धुआं और गर्मी बाहर निकलने दें, इससे सांस और सिरदर्द से जुड़ी दिक्कतें भी घटती हैं।
अनाज, दाल, तेल आदि के भारी डिब्बे दक्षिण या पश्चिम साइड रखें, उत्तर पूर्व में भारी स्टोरेज से बचें, इससे स्वास्थ्य और समृद्धि दोनों बेहतर मानी जाती हैं।
रात को सोने से पहले किचन साफ करके गैस स्टोव पोंछें, गंदे बर्तन न छोड़ें और एक छोटी कटोरी में थोड़ा पानी और या तो कपूर/लौंग/इलायची जला कर सुगंध फैलाएं, इससे मानसिक शांति और सकारात्मकता बढ़ती है।
