Paris Paralympics : मीठे से की तौबा, रतजगे भी किए...सुमित अंतिल के स्वर्ण के पीछे बलिदानों की दास्तां

Amrit Vichar Network
Published By Bhawna
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पेरिस। पिछले एक दशक से अधिक समय से पीठ की चोट से जूझ रहे भारत के पैरा भालाफेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल के पेरिस पैरालम्पिक स्वर्ण के पीछे बलिदानों की लंबी दास्तां है...जिसमें मीठा खाना छोड़ना और कई रातें जागकर गुजारना शामिल है। पैरालंपिक से पहले तेजी से वजन बढने के जोखिम के कारण सुमित को अपनी पसंदीदा मिठाइयों से परहेज करना पड़ा। इसके अलावा पिछले साल हांगझोउ पैरा एशियाई खेलों में कमर में लगी चोट भी उन्हें परेशान कर रही थी। फिजियो की सलाह पर सुमित ने मिठाई खाना छोड़ दिया और कड़ी डाइटिंग पर थे। 

उन्होंने दो महीने में 12 किलो वजन कम किया। उनकी मेहनत यहां रंग लाई जब पैरालंपिक खिताब बरकरार रखने वाले वह दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए। उन्होंने पैरालम्पिक खेलों में 70 . 59 मीटर का नया रिकॉर्ड भी बनाया। उन्होंने यहां मीडिया से कहा, मैंने 10 से 12 किलो वजन कम किया । मेरे फिजियो विपिन भाई ने मुझसे कहा कि वजन से मेरी रीढ की हड्डी पर दबाव बन रहा है। इसलिये मैने मीठा खाना बंद किया जो मुझे बहुत पसंद है । इसके अलावा सही खुराक लेने पर फोकस रखा। 

सुमित ने कहा ,‘‘ मैं पूरी तरह से फिट नहीं था । मुझे अपने थ्रो से पहले पेनकिलर लेनी पड़ी । ट्रेनिंग के दौरान भी मैं सर्वश्रेष्ठ स्थिति में नहीं था । सबसे पहले मुझे कमर का इलाज कराना है। मैं सही तरह से आराम भी नहीं कर सका हूं । मैने बहुत संभलकर खेला ताकि चोट बड़ी ना हो जाये।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मैने क्रॉसफिट वर्कआउट भी शुरू किया । कोच अरूण कुमार के साथ मुझे दो साल हो गए हैं। उन्हें पता है कि मुझे कब और क्या चाहिये । मैने उन्हें रातों को जागकर रणनीति बनाते देखा है। मैं खुशकिस्मत हूं कि ऐसी टीम मेरे साथ है।

सुमित ने कहा कि लोगों की अपेक्षाओं से उनकी रातों की नींद उड़ गई थी लेकिन अब वह राहत महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, पिछली तीन रातों से मैं सोया नहीं हूं। लोगों की अपेक्षाओं को देखकर मैं नर्वस था। टोक्यो पैरालम्पिक में मुझे कोई जानता नहीं था तो इतना दबाव नहीं था। मैं चैन से सो रहा था लेकिन यहां पिछले तीन चार दिन तनावपूर्ण थे।

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