केजीएमयू: इलाज के लिए किशोर को लेकर रात भर भटकते रहे परिजन, मौत

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Published By Virendra Pandey
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केजीएमयू में ऑक्सीजन पॉइंट बेड खाली न होने का हवाला देकर लोहिया किया गया रेफर

लखनऊ, अमृत विचार। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के टीबी वार्ड में भर्ती किशोर की मंगलवार रात मौत हो गई। परिजनों ने इलाज न मिलने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। उनका कहना था कि इलाज के लिए वह पूरी रात केजीएमयू, लोहिया संस्थान और बलरामपुर अस्पताल के चक्कर काटते रहे। किसी तरह केजीएमयू में भर्ती होने के बाद भी इलाज मुहैया नहीं हो सका। इससे उसकी जान चली गई।

लखीमपुर खीरी निवासी किसान अशोक कुमार ने बताया कि उनका बेटा आयुष कुमार (17) की दोनों किडनी में इंफेक्शन था। उसका इलाज पीजीआई से चल रहा था। इस बीच उसकी डायलिसिस भी हुई थी। जांच के दौरान टीबी की पुष्टि होने पर करीब दो महीने पहले केजीएमयू रेफर किया गया था। यहां करीब 15 दिन भर्ती रखा गया। सेहत में सुधार होने पर छुट्टी दे दी गई थी। सोमवार रात फिर से उसकी तबियत बिगड़ने पर एंबुलेंस से करीब 9 बजे ट्रॉमा सेंटर लाया गया। यहां पर डॉक्टरों ने ऑक्सीजन पॉइंट बेड खाली न होने का हवाला देकर लोहिया संस्थान भेज दिया। लोहिया में डॉक्टरों ने डायलिसिस होने की जरूरत बता कर बलरामपुर अस्पताल भेजा। बलरामपुर में टीबी का मरीज होने का हवाला देकर उसे फिर से केजीएमयू भेज दिया गया।

तीन घंटे तक बिना ऑक्सीजन रहा

परिजनों ने बताया कि रात करीब 2 बजे वह वापस ट्रॉमा आ गए। यहां काफी मिन्नतों के बाद भी डॉक्टरों ने भर्ती नहीं किया। इस बीच एंबुलेंस की भी ऑक्सीजन खत्म हो गई। मरीज करीब तीन घंटे तक बिना ऑक्सीजन के एंबुलेंस में ही पड़ा रहा।

परिजनों ने बताया कि काफी प्रयास के बाद मंगलवार की सुबह करीब 9 बजे मरीज को टीबी वार्ड में भर्ती किया गया। परिजनों का आरोप है कि इलाज के लिए बार-बार कहने पर परिजनों से अभद्रता भी की। रात करीब 8 बजे मरीज ने दम तोड़ दिया। वहीं रेस्पिरेटरी विभाग की तरफ से बताया गया है कि मरीज की हालत काफी नाजुक थी, इलाज दिया गया, लेकिन मरीज को बचाया नहीं जा सका।

पिता का आरोप है कि मरीज की मौत के बाद उसने मृत्यु प्रमाणपत्र की मांग की। इस पर पता चला कि मरीज पेपर पर भर्ती ही नहीं हुआ था। मृत्यु के बाद उसकी भर्ती प्रक्रिया पूरी कराई गई। करीब डेढ़ घंटे बाद मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जा सका। 

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि घटना की जानकारी की जाएगी। यदि परिजनों को लगता है कि इलाज में लापरवाही हुई है तो वह संस्थान प्रशासन से शिकायत कर सकते हैं। जांच में यदि कोई दोषी मिलता है तो कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

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