क्या है BIMSTEC ? क्यों महत्वपूर्ण है यह संगठन, जानिए भारत की भूमिका और इससे मिलने वाले फायदे
अमृत विचार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिम्सटेक में हिस्सा लेने थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक पहुंचे है। The Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation यानी बिम्सटेक का जन्म 6th जून 1997, को बैंकॉक घोषणा के तहत हुआ था इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग के इरादे से किया गया था। अभी इसमें सात एशियाई देश शामिल हैं जिनमें भारत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, दक्षिण एशिया से म्यांमार और थाईलैंड दक्षिण पूर्व एशिया से हैं वहीं शुरुआत के सदस्य देशो में भारत बांग्लादेश, श्रीलंका और थाईलैंड ही शामिल थे।
आपको बता दें कि BIMSTEC का स्थायी सचिवालय बांग्लादेश की राजधानी ढाका में है इसे वर्ष 2014 में स्थापित किया गया था। इस संगठन के महासचिव भारत के वरिष्ठ राजनयिक इंद्रमणि पांडेय हैं वहीं भारत 32 फीसदी का योगदान इस सचिवालय पर आने वाले व्यव में देता है।
BIMSTEC बनाने का उद्देश्य
इस संगठन को बनाने का उद्देश्य बंगाल की खाड़ी से जुड़े देशों के आपसी सहयोग, आर्थिक तरक्की, क्षेत्रीय चुनौती से मिलकर निपटने, आपसी हितों पर विचार विमर्श करना और सहयोग की भावना, समानता पैदा करने के साथ शिक्षा, विज्ञान तकनीकी क्षेत्र की चुनौतियों से मिलकर एक साथ लड़ना और मदद करना शामिल हैं।
क्यों महत्त्व रखता है यह संगठन
सिर्फ सदस्य देशों के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी यह संगठन महत्वपूर्ण हैं। दुनिया की कुल आबादी का 22 फीसदी से ज्यादा लोग इन्हीं सात देशों में रहते हैं। सदस्य देशों की GDP लगभग 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब बताई गई है। वहीं दुनिया में हो रहे कुल व्यापार का एक चौथाई हिस्सा बंगाल की खाड़ी से होकर गुजरता हैं।
इन आकड़ो से यह साफ़ जाहिर हैं कि दुनिया के लिए बिम्सटेक संगठन और इसके सदस्य देश कितने जरुरी हैं। BIMSTEC की योजना का सीधा लाभ इसके सदस्य देशों को मिलता है। इसमें भारत म्यांमार को जोड़ने वाली कलादान मल्टी मॉडल परियोजना, भारत और थाईलैंड को जोड़ने वाली एशियाई त्रिपक्षीय राजमार्ग यात्री एवं माल परिवहन जो म्यांमार से होकर गुजरता है के लिए बांग्लादेश -भारत -भूटान-नेपाल मोटर वाहन समझौता शामिल है।
कौन तय करता है इसकी अध्यक्षता
BIMSTEC की अध्यक्षता अल्फाबेटिकल आर्डर के हिसाब से देशों के पास आती है। वहीं भारत अबतक दो बार इसकी अध्यक्षता कर चुका है। इसके अलावा बांग्लादेश दो बार, म्यांमार दो बार, श्रीलंका दो बार, नेपाल और थाईलैंड ने एक बार इसकी अध्यक्षता की हैं। इसका क्रम सामान्यता दो साल में बदलता है। पहला BIMSTEC व्यापार शिखर सम्मलेन बीते साल 6 से 8 अगस्त तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।
BIMSTEC का 6th सम्मेलन थाईलैंड में आयोजित
28 साल पुराने संगठन में अबतक 6 बार इस सम्मलेन का आयोजन किया का चुका है। और इसका छठवा संस्करण थाईलैंड में 3 और 4 अप्रैल को आयोजित किया जा रहा है। इसमें सदस्य देशों के प्रमुख इसमें शामिल होंगे।
पांचवा BIMSTEC श्रीलंका में मार्च 2022 और चौथा सम्मेलन साल 2018 अगस्त महीने में नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित किया गया था। हर साल विदेश मंत्री के स्तर की बैठके यह संगठन आयोजित करता है इसी तरह से विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अफसरों का सम्मलेन भी आयोजित होता रहता है इसके कार्यकारी समूह की बैठके ढाका में आयोजित की जाती है।
भारत की भूमिका है खास
BIMSTEC भारत के लिए एक खास संगठन है भारत अपनी तीन प्रमुख नीतियों पर कार्य करता है भारत मुख्यता Neighborhood First, Act East and economic development plan of Northeast states of India जैसे नीतियों पर काम करता है। जिसके तहत भारत अपने पड़ोसियों की आगे बढ़कर मदद करता है। Act East पॉलिसी के चलते भारत दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से खुद को जोड़ने का कार्य करता है। उनसे परस्पर सहयोग बनाये रखता है।
आबादी के हिसाब से बात करे तो भारत की स्तिथि मजबूत और सदस्य देशों के लिए हर तरह के अवसर है। पड़ोसी देश पाकिस्तान से तनातनी जैसे रिश्तों के चलते सार्क (South Asian Association for Regional Cooperation) भारत के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। वहीं बंगाल की खाड़ी के आस पास के देशों में चीन की बढ़ती दखलअंदाजी और Belt and Road Initiative विस्तार के चलते भारत को इन देशों के साथ मिलकर सहयोग और भूमिका बढ़ जाती है।
