लखनऊ : संघर्षों का मुकम्मल ''खुद का इश्क'' : लेखिका ईशिका अमरनानी की पहली पुस्तक का विमोचना
लखनऊ : राजधानी के निशांतगंज मेट्रो सेंटर के सफायर सूट्स में रविवार को युवा लेखिका ईशिका अमरनानी की पहली पुस्तक खुद सा इश्क़ का विमोचना हुआ। सुप्रसिद्ध नाटक "मेरे राम" के लेखक डॉ. नरेश कात्यान ने किताब का विमोचना किया। इस दौरान पिता विनोद चंदी रमानी, मां मंजू चंदी रमानी, निष्ठा, उज्जवल और प्रणव मौजूद रहे।
लेखिका ईशिका अमरनानी ने बताया कि खुद सा इश्क़ उनकी पहली किताब है। यह किताब उनके संघर्ष की गाथा है। बताया कि लगभग 12 साल पहले वह मुम्बई के सड़क हादसे में गंभीर रुप से घायल हो गई और वह दो साल तक बेडरेस्ट पर रहीं। इस बीच वह तमाम संघर्षों से लड़ती रहीं। बताया कि आमतौर पर जीवन एक पूर्णविराम पर समाप्त होता है, लेकिन मेरा जीवन तो उसी बिंदु के बाद शुरू हुआ...।

इस दौरान उन्होंने अपने जीवन के तमाम पहलुओं को शब्दों में पिरोना शुरु किया। अपनी ज़िंदगी के दर्दनाक हादसे, कठिन और पीड़ादायक अनुभवों को खुद सा इश्क का नाम दिया। उन्होंने बताया कि यह उनकी पहली किताब है। जिंदगी को बोझ समझ कर आत्मघाती कदम उठाने वाले युवाओं के लिए यह किताब जिंदगी जीने का जज्बा देगी।
मां ने बढ़ाया हौसला, परिवार ने दिया साथ

लेखिका ईशिका अमरनानी बताती है कि परमहंस योगांनद की आत्मकथा ''योगी'' से उन्हें किताब लिखने की प्रेरणा मिली। जिसके बाद उन्होंने परमहंस योगांनद और आनंद मूर्ति को अपना आर्दश मान खुद के संघर्षों को साहित्य का रुप देने की कोशिश की। इस दौरान मां मंजू चंदी रमानी ने उनका हौसला बढ़ाया। जिसके बाद उन्होंने संघर्षों को खुद सा इश्क़ का नाम दिया। उन्होंने बताया 10 साल की मेहनत कर उन्होंने यह किताब लिखी है। इस दौरान उनके पूरे परिवार ने भी भरपूर सहयोग किया।
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