‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर बढ़ा विवाद, फिल्म पर बैन लगाने की उठी मांग, जानें तत्काल सुनवाई पर क्या रहा न्यायालय का फैसला

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
On

नई दिल्ली। राजस्थान के बहुचर्चित कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। 11 जुलाई को रिलीज होने वाली इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग तेज हो गई है। कई संगठन इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं। हाल ही में जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमाअत-ए-इस्लामी ने फिल्म पर रोक की मांग की थी। अब समाजवादी पार्टी भी इस मुद्दे पर कूद पड़ी है। महाराष्ट्र के विधायक अबू आसिम आजमी ने विधानसभा में इस फिल्म का मामला उठाते हुए तुरंत इसकी रिलीज पर पाबंदी लगाने की मांग की है। वहीं न्यायालय में फिल्म को लेकर दायर याचिका पर पीठ ने अपना निर्णय सुनाया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ फिल्म की रिलीज को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई नहीं होगी। कोर्ट ने कहा, “पहले फिल्म को रिलीज होने दें।” 

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जे. बागची की पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब मामले के एक आरोपी की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि फिल्म की रिलीज से मुकदमे की सुनवाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वकील ने बताया कि फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली है और इसका ट्रेलर जारी हो चुका है, जिससे आशंका है कि यह निष्पक्ष सुनवाई को प्रभावित कर सकता है और आरोपी के अधिकारों का हनन हो सकता है।

पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा, “फिल्म को रिलीज होने दें। आप ग्रीष्मावकाश के बाद नियमित पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख करें।” यह याचिका मोहम्मद जावेद ने दायर की थी, जो इस मामले में आठवें आरोपी के रूप में मुकदमे का सामना कर रहा है। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जाए। उन्होंने दावा किया कि फिल्म का ट्रेलर और प्रचार सामग्री “सांप्रदायिक रूप से उत्तेजक” है, जिसमें आरोपी को दोषी के रूप में दिखाया गया है और कहानी को सत्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि फिल्म की रिलीज से चल रही अदालती कार्यवाही पर गंभीर असर पड़ सकता है। यह मामला जून 2022 में राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या से संबंधित है, जिसे मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने कथित तौर पर घृणा अपराध के तहत अंजाम दिया था। हमलावरों ने बाद में एक वीडियो जारी कर दावा किया कि कन्हैया लाल की हत्या पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणी के समर्थन में उनके सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में की गई थी। 

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने इस मामले की जांच की थी और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह मुकदमा वर्तमान में जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में लंबित है।

सपा नेता अबू आजमी ने 'उदयपुर फाइल्स' पर बैन की मांग की
  
महाराष्ट्र सपा अध्यक्ष और गोवंडी विधायक अबू आसिम आजमी ने भिवंडी में 'उदयपुर फाइल्स' फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई। उन्होंने आरोप लगाया कि यह फिल्म नफरत फैलाने का माध्यम बन रही है और इसके रिलीज होने से सामाजिक तनाव बढ़ सकता है। आजमी ने कहा, "यह फिल्म नफरत फैलाने का प्रयास कर रही है। अगर इसे रिलीज किया गया, तो कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए इसे तुरंत रोका जाए।"

ट्रेलर हटाने की भी मांग

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी दिल्ली हाई कोर्ट में इस फिल्म की रिलीज रोकने के लिए याचिका दायर की है। याचिका में फिल्म पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और आपत्तिजनक दृश्य दिखाने का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही, उन्होंने सोशल मीडिया से फिल्म के ट्रेलर को हटाने की मांग भी की है।

यह भी पढ़ेः Bharat Bandh: बिहार से लेकर केरल तक दिखा बंद का असर, कहीं हुआ चक्का जाम तो कहीं रूकी ट्रेनें, जानें क्या है यूपी का हाल

संबंधित समाचार