विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत-जापान फोरम में लिया हिस्सा, बदलते वर्ल्ड ऑर्डर पर की चर्चा

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Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को भारत-जापान फोरम के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने विकसित विश्व व्यवस्था और भारत-जापान सहयोग की अनिवार्यता पर चर्चा की। एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा, "नई दिल्ली में भारत-जापान फोरम के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेकर खुशी हुई। बदलते वर्ल्ड ऑर्डर और भारत-जापान के बीच गहरे सहयोग की जरूरत पर चर्चा हुई।" 

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारत-जापान फोरम भारतीय और जापानी नेताओं को बातचीत और सहयोग से द्विपक्षीय और रणनीतिक साझेदारी के भविष्य को आकार देने के लिए एक मंच देता है। अनंत सेंटर और विदेश मंत्रालय ने यह फोरम बुलाया है। बयान में आगे कहा गया, "फोरम का मकसद सहयोग को बढ़ाना, अवसरों का फायदा उठाना, विचार साझा करना, आपसी भरोसा बनाना और भविष्य के सहयोग के लिए एक संयुक्त एजेंडा बनाना है।"

जापान में शुक्रवार को भारत की राजदूत नगमा एम. मलिक ने जापान के पर्यावरण मंत्री, इशिहारा हिरोताका के साथ मीटिंग की, जिसमें दोनों देशों के बीच सहयोग के मौकों पर चर्चा हुई। इससे पहले 23 नवंबर को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोहान्सबर्ग में जी20 समिट के दौरान अपने जापानी समकक्ष और पीएम साने ताकाइची के साथ एक द्विपक्षीय बैठक की और नवाचार, रक्षा और कौशल गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और तेज करने के तरीकों पर चर्चा की।

27 अक्टूबर को विदेश मंत्री जयशंकर ने मलेशिया के कुआलालंपुर में आसियान समिट के दौरान अपने जापानी समकक्ष, मोटेगी तोशिमित्सु से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान दोनों ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने पर चर्चा की और भारत-जापान सहयोग के अगले दशक के लिए संयुक्त विजन को लागू करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत-जापान संबंधों को 2000 में 'वैश्विक साझेदारी', 2006 में 'रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी' और 2014 में 'स्पेशल रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी' का दर्जा दिया गया। रक्षा और सुरक्षा साझेदारी भारत-जापान द्विपक्षीय संबंधों का एक अहम हिस्सा है। हाल के कुछ सालों में रणनीतिक मामलों पर बढ़ती सहमति के कारण रक्षा सहयोग में आदान-प्रदान को मजबूती मिली है, और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर आम नजरिए से इसका महत्व बढ़ रहा है।

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